सरकार, राजनीतिक पार्टियों को न्यायपालिका के मौजूदा संकट से दूर रहना चाहिए: पीएम मोदी
न्यापालिका संकट पर अपनी प्रथम टिप्पणी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि सरकार और राजनीतिक पार्टियों को अवश्य ही इससे दूर रहना चाहिए। साथ ही, उन्होंने भरोसा जताया कि न्यायपालिका अपनी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए एक साथ बैठेगी। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय न्यायपालिका का एक उज्ज्वल अतीत रहा है और यह बहुत सक्षम लोगों से परिपूर्ण है। उन्होंने समाचार चैनल टाइम्स नाऊ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, ह्यह्यहमारे देश की न्यायपालिका का एक बहुत ही उज्ज्वल अतीत रहा है, वे बहुत ही सक्षम लोग हैं। वे एक साथ बैठेंगे और अपनी समस्याओं का समाधान निकालेंगे। हमारी न्यायिक प्रणाली में मेरी आस्था है, वे निश्चित तौर पर एक समाधान निकालेंगे।ह्णह्ण प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) द्वारा संवेदनशील मामलों के आवंटन की उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ न्यायाधीशों द्वारा सार्वजनिक तौर पर आलोचना किए जाने के बाद शीर्ष न्यायालय में उत्पन्न संकट के बारे में पूछे जाने पर मोदी ने कहा, ह्यह्यमुझे लगता है कि मुझे इस चर्चा से दूर रहना चाहिए।
सरकार को भी इससे अवश्य दूर रहना चाहिए। राजनीतिक दलों को भी इससे अवश्य दूर रहना चाहिए।ह्णह्ण उनके गुजरात का मुख्यमंत्री रहने के दौरान उन्हें निशाना बनाए जाने की तरह ही भाजपा के हाई प्रोफाइल नेताओं को संकट में डालने की विपक्षी दलों की कथित कोशिशों के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री ने कहा कि उन लोगों ने उन्हें राजनीतिक रूप से खत्म करने की कई कोशिशें की थी। मोदी ने विपक्षी पार्टियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा, ह्यह्यवे जिस रास्ते पर हैं, उसने मुझे यहां पहुंचने में मदद की। ह्णह्ण गौरतलब है कि 12 जनवरी को शीर्ष न्यायालय के चार शीर्ष न्यायाधीशों – न्यायमूर्ति जे. चेलमेश्वर, न्यायमूर्ति रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति मदन लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ- ने एक असाधारण घटनाक्रम के तहत संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया था। उन्होंने कहा था कि उच्चतम न्यायालय में ह्यसब कुछ ठीक ठाक नहींह्ण है। उन्होंने खुद के द्वारा जताई गई ंिचताओं को नजरअंदाज करने को लेकर सीजेआई दीपक मिश्रा की तीखी आलोचना की थी।