पहली बार प्रणव मुखर्जी ने बताया- एयरपोर्ट जाकर क्यों की थी रामदेव से मुलाक़ात, गलती भी मानी

देश के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शनिवार (14 अक्टूबर) को इंडियन एक्सप्रेस अड्डा में साल 2011 में यूपीए-2 शासन के दौरान योग गुरु रामदेव से हवाईअड्डे पर जाकर मिलने को अपनी गलती बतायी। जून 2011 में प्रणब मुखर्जी यूपीए-2 सरकार में केंद्रीय मंत्री थे। प्रणब मुखर्जी और कपिल सिब्बल दिल्ली हवाईअड्डे पर रामदेव को भूख-हड़ताल से रोकने का अनुरोध करने गये थे। एक्सप्रेस अड्डा में एक श्रोता द्वारा पूछे गये सवाल के जवाब में प्रणब मुखर्जी ने कहा कि ये उनका “गलत फैसला” था और उन्हें “ऐसा नहीं करना चाहिए था।” प्रणब मुखर्जी ने बताया कि अन्ना हजारे के आंदोलन की वजह से यूपीए सरकार परेशानी में थी इसलिए वो चाहते थे कि रामदेव के भूख-हड़ताल शुरू करने से पहले ही मामले को सुलझा लें।

प्रणब मुखर्जी ने कहा, “जहाँ तक मुझे याद है मैं और कपिल सिब्बल गये थे (रामदेव से मिलने)…वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री गये। राजनीतिक कारणों से मिलने गये थे। मुझे लगा कि हम पहले ही अन्ना हजारे के आंदोलन का सामना कर रहे हैं। उस आंदोलन से सरकार को दिक्कत हो रही थी, उसकी किरकिरी हो रही थी…इसलिए इसे (रामदेव की भूख हड़ताल) शुरू होने से पहले ही खत्म किया जा सकता था।” प्रणब मुखर्जी ने बताया कि उन्हें किसी अन्य नेता ने सलाह दी थी कि रामदेव से बात करके मसले को पहले ही सुलझाया जा सकता था। मुखर्जी ने कहा, “…इसलिए मैंने कुछ लोगों से संपर्क किया। मैं नाम नहीं ले रहा। मुझे एक व्यक्ति ने सलाह दी कि आपको उनसे (रामदेव) से बात करनी चाहिए, उनसे मेरी बात हुई है कि अगर आप दिल्ली पहुंचकर अपने अनुयायियों से वो मिलें अगर उससे पहले आप उनसे बात कर लें तो वो आपकी बात सुनेंगे।”

प्रणब मुखर्जी ने ये भी बताया कि वो अपने साथ कपिल सिब्बल को लेकर क्यों गये थे।  मुखर्जी ने बताया, “…मैंने उस व्यक्ति से कहा कि मेरी हिन्दी अच्छी नहीं है तो मैं उनसे (रामदेव) से कैसे बात करूंगा। तब उन्होंने मुझसे कहा कि आप किसी ऐसे आदमी को साथ लेकर जाइए जो आपके लिए दुभाषिये के तौर पर काम कर सके। इसीलिए मैं कपिल सिब्बल को लेकर गया…बहरहाल, बाद में मुझे अहसास हुआ कि ये मेरा गलत फैसला था, मुझे वैसा नहीं करना चाहिए था। मैंने तब भी कहा था और आज भी ये कहने में मुझे कोई झिझक नहीं कि हमने गलती की थी।” मुखर्जी उस समय मनमोहन सिंह सरकार में वित्त मंत्री थे और कपिल सिब्बल मानव संसाधन मंत्री। रामदेव एक जून के उज्जैन से दिल्ली पुहंचे थे। उन्होंने विदेशों में पड़ा कालाधन समेत अन्य मुद्दों पर मुखर्जी और सिब्बल से बात की थी लेकिन उनकी बातचीत विफल रही थी।

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