किसान संघर्ष समिति ने बुलाई किसान मुक्तिसंसद, किसान बोले- प्रधानमंत्री ने नहीं निभाया कर्ज माफी का वादा

खेती और किसानों की समस्याओं को उजागर करने के लिए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआइकेएससीसी) ने सोमवार को किसान मुक्तिसंसद बुलाई, जिसमें महिला किसानों की भी मौजूदगी दिखी। इस दौरान किसानों ने पूर्ण कर्ज माफी और लाभकारी मूल्य गारंटी सांकेतिक विधेयक पारित किया। किसानों की मांग है कि लागत व उपज की कीमतों में भारी अतंर से किसानों पर कर्ज बढ़ रहा है और वे बर्बाद हो रहे हैं, इसलिए उनकी पूर्ण कर्ज माफी के लिए संसद में विधयक पारित किया जाए।  देश के कई राज्यों से हजारों की संख्या में आए किसान रामलीला मैदान, आंबेडकर भवन, रकाबगंज गुरुद्वारा व विभिन्न रेलवे स्टेशनों से होते हुए रंग-बिरंगे झंडे लेकर नारेबाजी करते हुए किसान मुक्ति संसद में पहुंचे। किसान संसद शुरू होने पर पहले मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में शहीद किसानों, आत्महत्या करने वाले किसानों व यवतमाल में कीटनाशक के कारण मारे गए 32 किसानों को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि खेती अब घाटे का सौदा हो गई है। प्रधानमंत्री ने किसानों से किया कर्ज माफी का वादा अब तक पूरा नहीं किया।

कार्यक्रम में नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ मेधा पाटकर ने आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार की 545 महिला किसानों की महिला संसद भी लगाई। मेधा पाटकर ने कहा कि आज देश के लिए ऐतिहासिक क्षण है जब महिलाएं अपनी संसद बिठा कर अपने सवालों पर चर्चा कर रही हैं। उन्होंने कहा कि सरकारों ने नर्मदा घाटी सहित देशभर में दस करोड़ किसानों को विस्थापित किया है जिनका आज तक संपूर्ण पुनर्वास नहीं हुआ है। वैकल्पिक विकास की नीति की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि वर्तमान नीति देश के किसानों व मजदूरों के लिए विनाशकारी है।

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