डोप टेस्ट के प्रावधान पर भड़के सरकारी कर्मचारियों ने की सीएम, मंत्री, विधायकों का भी टेस्ट करने की माँग

पंजाब के सरकारी कर्मचारियों ने कांग्रेस सरकार द्वारा डोप टेस्ट अनिवार्य करने के फैसले पर आपत्ति जताई है। राज्य के सरकारी कर्मचारी चाहते हैं कि डोप टेस्ट ना सिर्फ उनका हो बल्कि मंत्रियों, विधायकों, पार्टी कार्यकर्ताओं का भी हो। पंजाब के सरकारी कर्मचारियों के एक संगठन ने कहा है कि इस टेस्ट से आखिर ने इन्हें बाहर क्यों रखा गया है। ये संगठन चाहता है कि बिना भेदभाव के सीएम का भी डोप टेस्ट किया जाए। पंजाब सिविल सचिवालय एसोसिएशन के अध्यक्ष एस के खेहरा ने कहा, “हमें डोप टेस्ट में कोई आपत्ति नहीं हैं, हम मांग करते हैं कि सरकार के नोटिफिकेशन में मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों पार्टी अध्यक्षों और उनके कार्यकर्ताओं का भी नाम हो। आखिर इन्हें क्यों छोड़ा जाना चाहिए।”

 

बता दें कि पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पुलिसकर्मियों समेत सभी सरकारी कर्मचारियों को उनकी सेवाओं के प्रत्येक चरण में भर्ती के समय अनिवार्य डोप टेस्ट के आदेश दिए हैं। सरकार के एक प्रवक्ता के मुताबिक, “मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को इस संबंध में काम करने और जरूरी अधिसूचना जारी करने के निर्देश दिए हैं।” प्रवक्ता ने कहा, “मुख्यमंत्री ने भर्ती और पदोन्नति के सभी मामलों में ड्रग्स स्क्रीनिंग को अनिवार्य बनाने के आदेश दिए हैं। इसके साथ वार्षिक मेडिकल जांच के आदेश दिए हैं, जिसके अंतर्गत कुछ कर्मचारियों को उनकी ड्यूटी के हिसाब से जांच करवाना पड़ेगा।”

उन्होंने कहा, “पंजाब सरकार के अधीन काम करने वाले सिविल/पुलिस कर्मचारियों के लिए वार्षिक मेडिकल परीक्षण के अंतर्गत डोप टेस्ट को अनिवार्य कर दिया गया है।” अगर कोई सरकारी कर्मचारी डोप टेस्ट में फेल हो जाता है तो पंजाब सरकार उसके खिलाफ कार्रवाई करेगी। बता दें कि पंजाब में नशाखोरी एक व्यापक समस्या हो गई है। राज्य के लाखों युवा ड्रग की चपेट में आकर अपना भविष्य बर्बाद कर रहे हैं। बता दें कि पंजाब सरकार ड्रग तस्करों को मौत की सजा देने पर विचार कर रही है। पंजाब सरकार की कैबिनेट बैठक में ये फैसला लिया गया। पंजाब सरकार ने इस सिफारिश को केन्द्र सरकार के पास भेजा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *