तेलंगाना: सीएम केसीआर ने उर्दू को दिया दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा, लगे तुष्टिकरण और हिंदी की उपेक्षा के आरोप
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने राज्य में उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाने का एलान किया है। यानी सरकारी कामकाज में तेलुगू के बाद उर्दू में भी कामकाज किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री केसीआर का लंबे समय से मुस्लिमों के प्रति रुझान रहा है। लिहाजा, माना जा रहा है कि उन्होंने तुष्टिकरण की नीति पर चलते हुए उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया है। शुक्रवार (10 नवंबर) को एक सभा को संबोधित करते हुए केसीआर ने इसका एलान किया। इससे पहले उम्मीद जताई जा रही थी कि हिन्दी को दूसरी आधिकारिक भाषा होने का गौरव प्राप्त होगा मगर मुख्यमंत्री ने ऐसा नहीं किया।
रिपब्लिक टीवी के मुताबिक अपने संबोधन में मुख्यमंत्री केसीआर ने कहा, “लंबे समय से मांग की जा रही थी कि उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा बनाई जाय। हालांकि, आंध्र प्रदेश का दृष्टिकोण तेलंगाना से अलग है। 23 जिलों में उर्दू भाषी लोग नहीं हैं, इसलिए वहां कुछ जिलों में यह लागू है और कुछ जिलों में नहीं है लेकिन हम यहां जिला स्तर पर नहीं बल्कि राज्य स्तर पर उर्दू को दूसरी आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने का एलान करते हैं। अब पूरे तेलंगाना में उर्दू में भी कामकाज किया जा सकेगा।”
विपक्षी बीजेपी और कांग्रेस ने मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर वोट बैंक के खातिर मुस्लिम तुष्टिकरण के आरोप लगाए हैं। इससे पहले अक्टूबर में भी बीजेपी और कांग्रेस ने सीएम केसीआर के उस प्रस्ताव का विरोध किया था जिसके तहत राज्य में मुस्लिमों के लिए एक्सक्लूसिव इंडस्ट्रियल एस्टेट और आईटी कॉरिडोर बनाए जाने की बात कही गई थी। विरोधी दलों ने सीएम पर तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया था।
बता दें कि तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद में करीब 30 फीसदी मुस्लिम आबादी है जबकि राज्य के दूसरे शहरों यथा- महबूब नगर में करीब 34 फीसदी, करीमनगर में करीब 21 फीसदी, खम्मम में करीब 16 फीसदी मुस्लिम आबादी है। अदिलाबाद में मुस्लिम आबादी करीब 36 फीसदी है, जबकि निजामाबाद में 38 फीसदी और नलगोंडा में 20 फीसदी। इसके अलावा राज्य में मुस्लिम आबादी का 74 फीसदी शहरों में निवास करता है। राज्य में हिन्दुओं की कुल आबादी 85 फीसदी जबकि मुस्लिम आबादी करीब 13 फीसदी है। राज्य में तेलुगू बोलने वाले 77 फीसदी लोग हैं जबकि उर्दू बोलने वाले 12 फीसदी और अन्य बाषाएं बोलने वाले करीब 13 फीसदी लोग हैं।