बिहार के बालिका गृह में शोषण की शिकार 29 बच्चियों के मेडिकल जाँच में हुई रेप की पुष्टि
बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह यौन शोषण मामले में एक के बाद एक नये खुलासे हो रहे हैं। खुलासों से यह साफ हो रहा है कि किस तरह वहां रह रही बच्चियों के साथ हैवानियत की गई। यौन शोषण का मामला उजागर होने के बाद यहां रहने वाली लड़कियों की पटना के पीएमसीएच में मेडिकल जांच की गई। जांच रिपोर्ट में 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। इनमें एक सात साल की लड़की भी शामिल है। अब इसके बाद एक और बड़ा खुलासा हुआ है कि वहां रहने वाली एक लड़की की हत्या के बाद उसे दफना दिया गया था। यह खुलासा एक लड़की ने अपने बयान में किया है। बच्ची के इस बयान की पुष्टि मुजफ्फरपुर की एसएसपी हरप्रीत कौर ने की है। पुलिस अब इस हत्याकांड की जांच में जुट गई है।
पीएमसीएच में मेडिकल जांच के दौरान यह बात भी सामने आयी है कि 29 में से कई ऐसी बच्चियां हैं, जिनकी हालत काफी दयनीय है। दुष्कर्म से पहले भी उनकी मानसिक हालत ठीक नहीं थी। कई बच्चियां मूकबाधिर थी। नाबालिग लड़कियों के साथ कई बार दुष्कर्म किया गया। डॉक्टरों के अनुसार, सात साल की जिस नाबालिक के साथ कुकृत्य किया गया, उसे बोलने में भी तकलीफ हो रही थी। दुष्कर्म के इस खुलासे के बाद पुलिस प्रशासन के बीच हड़कंप मचा हुआ है। रिमांड होम चलाने वाले के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है। विपक्ष भी इस मामले को लेकर सरकार पर हमलावर है। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि एनजीओ मालिक का मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ संबंध है। एनजीओ के मालिक ने चुनाव भी लड़ा था, जिनके प्रचार में खुद सीएम नीतीश गए थे। वहीं, भाजपा नेता नवल किशोर यादव ने भी अपनी ही सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि बिहार में इतनी बड़ी घटना हो गई। यह साफ दर्शाता है कि सूबे में कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। अपराध पर शिकंजा कसना जरूरी है।
गौरतलब है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की जांच रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में रह रही बच्चियों के साथ यौन शोषण का खुलासा हुआ था। इस रिपोर्ट के आधार पर ही बालिका गृहा का संचालन करने वाले एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति के पदाधिकारियों पर केस दर्ज किया गया है।