जब पेनेट्रेशन हुआ तो आप रोई थीं? कोर्ट में रेप पीड़िता से वकील पूछते हैं ऐसे-ऐसे सवाल
महिलाओं के संग अपराध के मामले देश में कम होने का नाम नहीं ले रहे। हालांकि एक अच्छी बात ये है कि ऐसे मामलों की शिकायत करने की दर बढ़ी है। लेकिन इस दिशा में अभी देश इतना पीछे है कि कई बार यौन शोषण या बलात्कार के मामले में अदालत जाने वाली पीड़िता को आरोपियों के वकीलों के ऐसे सवालों का जवाब देना पड़ता है जो महिलाओं के लिए किसी शोषण से कम नहीं होता। एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) ने 16 रेप पीड़ितों से बात करके ये जाना कि उनसे अदालत में किस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। इन सभी पीड़ितों के मामले दिल्ली की फास्ट ट्रैक अदालतों में चल रहे हैं। एक पीडि़ता से वकील ने पूछा था, “क्या पेनेट्रेशन के समय आप रोई थीं और आपकी आँखू में आँसू आए थे?” एक अन्य पीडि़ता से वकील ने पूछा, “आपने शोर मचाने की कोशिश की?” एक अन्य पीड़िता से वकील ने पूछा था, “क्या आपने रेप होते समय शोर मचाने या अभियुक्त को नाखून से काटने की कोशिश की थी?”
क्रिमिनल लॉयर रेबेका जॉन ने टाइम्स ऑफ इंडिया अखबार से कहा कि अदालत में ऐसे सवाल असमान्य नहीं है, भारतीय अदालतें पहले से बेहतर हुई हैं लेकिन इस दिशा में अभी बहुत काम किये जाने की जरूरत है। रेबेका ने माना कि कई मामलों में न्यायिक अधिकारी बचाव पक्ष वकील के ऐसे सवालों पर रोक नहीं लगा पाते। एनजीओ की रिपोर्ट में बलात्कार या यौन शोषण की पीड़िताओं और उनके सगे-संबंधियों की सुरक्षा की चिंताजनक स्थिति को बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार ऐसे मामलों में कई बार फोरेंसिक साइंस प्रयोगशाला (एफएसएल) की रिपोर्ट आने में होने वाली देरी से भी न्याय प्रक्रिया लंबी और त्रासद हो जाती है। एनजीओ ने जिन पीड़िताओं से बात करके रिपोर्ट तैयार की उनमें से सभी के साथ उनके पूर्व-परिचितों पर बलात्कार का आरोप है। भारत में होने वाले ज्यादातर बलात्कार में आरोपी पीड़िता का पूर्व-परिचित होता है।