5 से 60 हजार तक हैं रावण के पुतले, देश के दूसरे हिस्सों से भी आते हैं कारीगर

पश्चिमी दिल्ली स्थित राजौरी गार्डन से लेकर टैगोर गार्डन तक सड़क के दोनों ओर रावण और उसके परिवार को देखा जा सकता है। रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के हजारों पुतलों को देखने वालों का तांता दिन भर लगा रहता है। पश्चिमी दिल्ली का यह बाजार तातारपुर है। जो विश्वभर में रावण मंडी के नाम से मशहूर है। इस रावण मंडी में न केवल उत्तरी भारत बल्कि दुनिया के कई हिस्सों में रावण और उसके परिवार के पुतलों का निर्यात होता है। तातारपुर में पुतले बनाने का काम बरसों से हो रहा है। ये काम दशहरे से करीब एक माह पहले से शुरू हो जाता है और दशहरे के दिन तक चलता रहता है।

रावण मंडी में पांच से लेकर सत्तर फीट तक के पुतले बनाए जाते हैं। तातारपुर गांव के रहने वाले करीब एक दर्जन से ज्यादा परिवार पुतला बनाने के धंधे से जुड़े हैं। इसके अलावा काफी संख्या कारीगर अब दूसरे राज्यों से आकर भी यहां पुतले बनाने का काम करते हैं। पुतले बनाने का काम करने वाले ज्यादातर परिवारों का यह पुश्तैनी धंधा है। इस धंधे से जुड़े लोगों का मानना है कि हर साल यहां पर करीब दस हजार के करीब पुतले बनते हैं। करीब पांच साल पहले इस बाजार से करीब 5000 पुतलों की मांग होती थी। यहां के कारीगर बताते हैं कि इस बार कई लीला कमेटियों ने आतंकवाद के भी पुतले बनवाए हैं और पाकिस्तान को आतंकवादी रावण के रूप में दिखाया गया है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *