भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा डिमांड ड्राफ्ट बनवाने से जुड़े नियमों में किया गया ये बदलाव
बैकिंग व्यवस्था को सुरक्षित और मजबूत बनाने के लिहाज से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अहम कदम उठाया है। गुरुवार (12 जुलाई) को आरबीआई ने डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) बनवाने से जुड़े कुछ नियमों में फेरबदल कर दिया। नए नियमों के मुताबिक, अब से बैंक की ब्रांच से खरीदे जाने वाले डीडी पर उन पर खरीदने वालों का नाम प्रिंट कर के दिया जाएगा। फिलहाल डीडी में केवल उस संस्था या शख्स के नाम की ही जिक्र होता गै, जिसे भुगतान करना होता है।
आरबीआई ने इसके अलावा फैसला लिया है नए नियम के अंतर्गत 15 सितंबर से पे ऑर्डर और बैंकर चेक भी आएंगे। आरबीआई ने अपने बयान में कहा, “डीडी खरीदने वालों के नाम पता न चल पाने को लेकर समस्या होती थी। उसी को ध्यान में रखकर यह फैसला लिया गया है। डीडी पर उसे खरीदने वाले का नाम न होने से मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी उसको इस्तेमाल किया जा सकता है।”
चूंकि अप्रैल 2017 से लेकर इस साल मार्च के महीने तक देश के विभिन्न बैंकों में 5,152 गड़बड़झाले के मामले सामने आए थे। धोखाधड़ी और धांधली के इन मामलों में कई में बैंकिंग व्यवस्था के डीडी सरीखे कुछ इंस्ट्रुमेंट्स की कमियां जिम्मेदार थीं। ऐसे में केंद्रीय बैंक ने सभी बैंकिंग संस्थानों को नए नियम और दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए कहा है।
मनी लॉन्ड्रिंग पर नकेल कसने के लिए आरबीआई पहले भी कई अहम फैसले ले चुका है। बैंक ने 50 हजार रुपए से अधिक की रकम के डीडी को ग्राहक के अकाउंट या फिर चेक के खिलाफ ही जारी करने का आदेश दिया था, जबकि नकद भुगतान से डीडी बनवाने पर रोक लगाई जा चुकी है।
क्या है DD?: डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) कैशलेस ट्रांजैक्शन का एक जरिया है। बैंक अकाउंट में पैसे भेजने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है। जिस शख्स या कंपनी के नाम पर इसे बनवाया जाता है, रकम उसी के खाते में जाती है। अच्छी बात यह है कि जो इसे पेमेंट करने के लिए बनवाता है, जरूरी नहीं कि उसका खाता हो ही। अधिकतर लोग पेमेंट के लिए चेक प्रयोग करते। कारण- डीडी के बारे में लोगों के बीच कम जानकारी होना है। यह क्या है और कैसे काम करता है, ज्यादातर लोगों को इस बारे में पता नहीं होता।