कैलास यात्रा पर गए राहुल गांधी ने नही खाया था चिकन: विवाद के बाद रेस्‍तरां ने दी सफाई

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कैलास यात्रा शुरू होने से पहले ही विवादों में है। सोशल मीडिया पर दावा किया गया था कि नेपाल के एक होटल में उन्होंने चिकन खाया। स्थानीय मीडिया ने स्टाफ के हवाले से खबर चलाई कि राहुल ने रेस्तरां में नॉन वेज मंगाया था। उनके मुताबिक, “राहुल ने चिकन कुरकुरे मंगाया था। उन्होंने दो बार खाना ऑर्डर किया था।” इसके बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे मुद्दा बनाया। विवाद काफी गरमा गया, इतना कि रेस्तरां को इस मामले पर सफाई देनी पड़ी। रेस्तरां ने कहा- कांग्रेस अध्यक्ष ने शाकाहारी खाना मंगाया था। रेस्तरां की ओर से इस बाबत पहले कोई बयान नहीं जारी किया गया।

राहुल 31 अगस्त को काठमांडू पहुंचे थे। उन्होंने यहां वूटू रेस्तरां में डिनर किया था। चूंकि राहुल भारत में जाने-माने नेता हैं, लिहाजा होटलकर्मियों से स्थानीय मीडिया ने पूछा था कि राहुल ने क्या खाया? एक वेटर ने पत्रकारों को बताया, “उन्होंने नेवारी प्लैटर (थाली) के साथ चिकन कुरकुरे मंगाया था, जो कि उन्हें काफी अच्छा लगा था। राहुल ने दो बार खाना ऑर्डर किया था।”

 

शुक्रवार को राहुल के वहां पहुंचने के बाद रेस्तरां के फेसबुक पेज से एक पोस्ट किया था। लिखा गया, “कांग्रेस नेता शुक्रवार को अचानक वूटू रेस्तरां खाना खाने आए।”

न्यूज चैनल ने इसके बाद खबर में राहुल के चिकन खाने का दावा किया। विवाद तब और बढ़ा, जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने राहुल पर हिंदुओं की भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया।

मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी दावा किया गया कि रेस्तरां में राहुल टेबल नंबर-9 पर बैठे थे। वह उस दौरान जींस-टीशर्ट में थे। उनके साथ दो-तीन लोग भी थे। खाने के बाद बिल भरने की बारी आई, तो वह खुद पैसे चुकाने काउंटर पहुंचे थे। पूरे विवाद पर हो-हल्ला होते देख वूटू रेस्तरां को इसमें दखल देनी पड़ी।

रेस्तरां ने इसके बाद सफाई में कहा, “राहुल ने जो खाना मंगाया था, उसे लेकर मीडिया की ओर से काफी सवाल हो रहे थे। उन्होंने मीन्यू में सभी शाकाहारी चीजें मंगाई थी। वूटू की ओर से इससे पहले मीडिया में उन्हें द्वारा किए गए ऑर्डर का कोई बयान नहीं जारी किया गया था।”

रेस्तरां ने इसके अलावा अपने यहां मिलने वाली नेवारी नॉन वेज और वेज थाली की तस्वीरें भी पोस्ट कीं। आपको बता दें कि राहुल होटल में रात बिताने के बाद ल्हासा (तिब्बत में) के लिए रवाना हो गए थे, जहां से वह कैलास मानसरोवर पहुंचेंगे। काठमांडू उनके लिए महज एक स्टॉप था।

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