पाकिस्तान गए भारतीय जवान का कोर्ट मार्शल, सुनाई दो महीने की सजा, पेंशन भी रोकी

इंडियन आर्मी के जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण का बुधवार (25 अक्टूबर) को सेना की एक अदालत ने दोषी ठहराया है। साल 2016 में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक के दौरान जवाब चंदू गलती से सीमा पर कर गए थे। रिपोर्ट के अनसुार जांच में उन्हें दोषी पाया गया है। उन्हें दो महीने की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही दो साल के लिए उनकी पेंशन पर रोक लगा दी है। हालांकि सजा को लकेर आर्मी का कहना है कि इसकी मंजूरी उचित अधिकारियों द्वारा मिलना अभी बाकी है। कहा जाता है कि चंदू चव्हाण अपने अधिकारियों से नाराज होकर सीमा पार चले गए थे। पाकिस्तान ने इस साल जनवरी में जवान को अटारी-वाघा बॉर्डर पर भारत को सौंप दिया था।

गौरतलब है कि जवान चंदू बाबूलाल चव्हाण 29 सितंबर 2016 को भारत की कृष्णा घाटी सेक्टर से सीमा पार कर पाकिस्तान चले गए थे। इसके बाद डीजीएमओ स्तर की वार्ता के माध्यम से पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों से बातचीत की गई। 7 अक्टूबर, 2016 को पाकिस्तान ने माना कि चंदू पाकिस्तान में मौजूद हैं। जिसके बाद जनवरी में पाकिस्तान ने उन्हें भारत के हवाले कर दिया था। सूत्रों का कहना कि चव्हाण सजा के खिलाफ अपील कर सकते हैं। उनकी तैनाती 37 राष्ट्रीय राइफल्स में थी। चंदू बाबूलाल महाराष्ट्र के धुले जिले के वोरबीर गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम बाशन चौहान है। चंदू के भाई भी सेना में हैं जिनकी तैनाती फिलहाल गुजरात में है।

जानकारी के लिए बता दें कि पाक अधिकृत कश्मीर में भारतीय जवानों पिछले साल सर्जिकल स्ट्राइल की थी। लेकिन अभी तक इसकी पुख्ता जानकारी सामने नहीं आ पाई कि सेना ने कैसे इसकी तैयारी की थी। वैसे माना जा रहा है कि इसकी तैयारी लंबे समय से चल रही थी लेकिन जब पाकिस्तानी आतंकियों ने पिछले साल 18 सितंबर को कश्मीर के उरी सेक्टर में भारतीय सेना के कैम्प पर कायराना हमला किया तो उसके आठ दिनों बाद ही भारतीय सेना ने बड़ी सूझबूझ और युद्ध कौशल से रात के अंधेरे में दुश्मनों के ठिकानों पर लक्षित हमला कर दिया। इस हमले में ना सिर्फ लश्कर के आतंकी मारे गए बल्कि कुछ पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए।

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