सहारनपुर जिला जेल को घोषित किया राष्ट्रीय धरोहर
केंद्रीय पुरातत्व विभाग ने सहारनपुर जिला कारागार को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करते हुए इस इमारत को खाली करने का आदेश दिया है। साथ ही विभाग ने खाली किए जाने तक इस इमारत में किसी तरह का कोई बदलाव या नया निर्माण करने पर भी रोक लगा दी है। इस बाबत पुरातत्व विभाग की चिट्ठी सहारनपुर जिला कारागार के अधीक्षक को 22 सितंबर को प्राप्त हुई। अब विभाग ने कारागार को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किए जाने संबंधी शिलालेख भी लगा दिया है।
पुरातत्व विभाग के अनुसार इस इमारत को महल के तौर पर रोहिला वंश के राजाओं ने बनवाया था। पर 1870 में अंग्रेजों ने इस इमारत को जेल के रूप में तब्दील कर दिया। हालांकि उस समय इस इमारत का उपयोग घुड़साल के रूप में किया जाता था। जानकारों के मुताबिक ब्रिटिशकाल के दौरान सहारनपुर रोहिला वंश के राज्य के अधीन आता था और जो अब जिला कारागार है वह रोहिला नवाबों के दौरान राजा का महल हुआ करता था। 1870 से इसे जेल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
इतना पुराना भवन होने के कारण इसमें बनी कई बैरकों की दीवारें जीर्ण शीर्ण हालत में हैं और कारागार अधिकारियों के भवन का भी खस्ता हाल है। इस इमारत की खस्ता हालत के बाबत कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट सरकार के पास भेज दी है। लेकिन इसकी मरम्मत के बाबत सरकार से कोई जवाब आने से पहले ही पुरातत्व विभाग की चिट्ठी पहुंच गई जिसने इमारत में किसी भी तरह की मरम्मत या निर्माण कार्य पर रोक लगा दी है। सहारनपुर में नया जेल बनने में कम से कम पांच से सात साल तक का समय लग सकता है। इस स्थिति में पुरातत्व विभाग के निर्देशों के मुताबिक इस भवन को संरक्षित रखना बेहद कठिन है।
सहारनपुर के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने प्रदेश के गृह विभाग को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सहारनपुर में अब नई जेल के निर्माण की सख्त जरूरत है और इसके लिए शासन की ओर से जमीन की उपलब्धता सुनिश्चित कराई जाए। इससे आधुनिक सुविधाओं से संपन्न जेल का निर्माण संभव हो सकेगा। डीआइजी जेल शशि श्रीवास्तव के मुताबिक मौजूदा कारागार में शौचालयों का घोर अभाव है, सर्किल वॉल नहीं है और सुरक्षा वार्ड भी नहीं है। वीडियो कांफ्रेंसिंग और पीसीओ की भी व्यवस्था के लिए भवन नहीं है।
सहारनपुर कारागार के अधीक्षक वीरेश राज वर्मा ने इस संवाददाता को बताया कि कार्यवाहक डीआइजी (जेल) शशि श्रीवास्तव ने इस कारागार का निरीक्षण किया तो उन्होंने पाया कि इसकी क्षमता तो 53२0 बंदियों की है लेकिन इसमें 1690 कैदी रह रहे हैं। महिलाओं की जेल भी इसी रोहिला महल का हिस्सा है और बाल व किशोर जेल भी इसी इमारत में है।