रोहिंग्या संकट: रोहिंग्या मुसलमानों को ले जा रही नौका समुद्र में पलटी, 60 के मरने की आशंका

संयुक्त राष्ट्र ने शुक्रवार को कहा कि म्यांमार में हिंसा से जान बचाने के लिए भाग रहे रोहिंग्या मुसलमानों को ले जा रही एक नौका बांग्लादेश से लगे समुद्र में पटल गई, और इस दुर्घटना में लगभग 60 लोगों के मारे जाने की आशंका है। बीबीसी की रपट के अनुसार, यह नौका बांग्लादेश के कॉक्स बाजार जिले के करीब बंगाल की खाड़ी में गुरुवार देर शाम पलटी। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने कहा कि 23 लोगों के मरने की पुष्टि हो चुकी है और 40 लोग लापता है, और आशंका है उनकी भी मौत हो चुकी है।

अंतरराष्ट्रीय प्रवजन संगठन आईओएम के प्रवक्ता जोएल मिलमैन के अनुसार, जिंदा बचे कुछ लोगों ने कहा है कि नौका पर लगभग 80 लोग सवार थे। मिलमैन ने कहा, “जिंदा बचे लोगों ने बताया कि वे रातभर समुद्र में थे और उन्होंने कुछ भी नहीं खाया है।” मृतकों में कई बच्चे शामिल थे। म्यांमार के रखाइन प्रांत में 25 अगस्त को उस समय हिंसा भड़क उठी, जब रोहिंग्या आतंकियों ने सुरक्षा चौकियों पर हमला कर दिया। इसके बाद सेना ने रोहिंग्या के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी।

संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने हाल ही में कहा कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में 25 अगस्त को भड़की हिसा के बाद पलायन कर बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या शरणार्थियों की संख्या 4,80,000 तक पहुंच गई है और इस तरह बांग्लादेश में मौजूद रोहिंग्या शरणार्थियों की कुल संख्या सात लाख के ऊपर हो गई है। मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय(ओसीएचए) ने मंगलवार को बताया था कि म्यांमार के रखाइन प्रांत में अगस्त के अंतिम सप्ताह में भड़की हिसा के बाद पलायन कर बांग्लादेश पहुंचे रोहिंग्या समुदाय के लोगों की संख्या 4,80,000 तक पहुंच गई है और इस तरह बांग्लादेश में मौजूद रोहिंग्या शरणार्थियों की कुल संख्या सात लाख हो गई है।

गौरतलब है कि मुस्लिम जातीय अल्पसंख्यक समूह ‘रोहिंग्या’ को म्यांमार ‘म्यांमार नागरिक कानून-1982’ के तहत अपना नागरिक नहीं मानता है। म्यांमार सरकार इन लोगों को बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासी मानती है। दुजारिक ने यह भी बताया था कि बांग्लादेश प्रशासन की अगुवाई में बनाए गए प्रतिक्रिया योजना के तहत संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ‘यूएनएचसीआर’ की तरफ से एक मालवाहक विमान करीब 100 टन आवश्यक सामान लेकर मंगलवार को ढाका पहुंचा है। उन्होंने कहा कि जमीनी स्तर पर सारे प्रयास करने के बावजूद, बड़ी संख्या में रोहिंग्या के पहुंचने से उनके लिए बंदोबस्त करने की क्षमता कम पड़ गई है।

 

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