RPF की सब-इंस्पेक्टर ने किया ऐसा काम, महाराष्ट्र सरकार ने स्कूली किताबों में दी जगह
स्टेशनों पर मिले लावारिस बच्चों को परिवार से मिलाने की मुहिम चलाने वाली महिला पुलिसकर्मी रेखा मिश्रा की कहानी अब बच्चे पढ़ेगे।अब महाराष्ट्र के हाईस्कूल के पाठ्यक्रम में रेखा मिश्रा के कार्यों को शामिल किया गया है।रेखा मिश्रा मध्य रेलवे में बतौर उपनिरीक्षक कार्यरत हैं।अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई स्टेशनों पर लावारिस मिले बच्चों को गलत लोगों के चंगुल में जाने से न केवल बचाया बल्कि उन्हें परिवार से भी मिलाया।इन बच्चों में कुछ घर से भागे थे तो कुछ लापता और अपहृत बच्चे थे।रेखा मिश्रा के इस जज्बे को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने राज्य बोर्ड की दसवीं कक्षा की किताबों में उन्हें जगह देने का फैसला किया। अब दसवीं कक्षा के बच्चे मराठी में आरपीएफ सब इंस्पेक्टर रेखा मिश्रा को पढ़ेंगे।
रेखा मिश्रा इस समय क्षत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल पर कार्यरत हैं। उन्हें 2014 में आरपीएफ में नौकरी मिली थी। रेखा मिश्रा की इस उपलब्धि पर मध्य रेलवे के अफसरों में खुशी है। महाप्रबंधक डी.के शर्मा ने समारोह आयोजित कर रेखा शर्मा को सम्मानित करते हुए उनकी सराहना की। कहा कि रेखा को पाठ्यक्रम में शामिल करने पर नई पीढ़ी जरूर प्रभावित होगी।
उधर पाठ्यक्रम में शामिल होने की खबर सुनकर आरपीएफ सब इंस्पेक्टर रेखा ने कहा कि यह मेरे लिए बहुत गर्व की बात है। मैने अब तक 953 बच्चों को बचाया है। तमाम बच्चे घर में डांट-फटकार सुनकर या फिर अन्य कारणों से भागकर मुंबई आ जाते हैं, वह यहां की चकाचौंध से प्रभावित होते हैं।कुछ बच्चे लापता होते हैं तो कुछ का अपहरण होता है।इस नाते हमारी टीम रेलवे स्टेशनों पर लावारिस टहलने वाले बच्चों की पहचान कर उनके बारे में पूरी पड़ताल करती है। फिर उन्हें घर तक पहुंचाने की कोशिश होती है।उन्होंने बताया कि जो बच्चे हिंदी नहीं जानते,उनके लिए दुभाषिये को बुलाकर उनके नाम-पते के बारे में जानकारी ली जाती है, फिर उनके सुरक्षित रहने की व्ववस्था होती है।