कॉमनवेल्थ गेम: वेटलिफ्टिंग में भारत का दबदबा कायम, अब सतीश कुमार शिवलिंगम ने जीता गोल्ड
राष्ट्रमंडल खेलों के तीसरे दिन शनिवार(सात अप्रैल) को भारत को फिर खुशखबरी मिली। जब भारोत्तोलक खिलाड़ी सतीश कुमार शिवालिंगम ने 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में देश के लिए एक और स्वर्ण पदक जीता।सतीश ने भारत को यह पदक पुरुषों के 77 किलोग्राम भारवर्ग में दिलाया।
उन्होंने मैच में 144 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया तो वहीं क्लीन एंड जर्क में 173 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया। कुल मिलाकर उनका स्कोर 317 रहा। खास बात रही कि उन्हें क्लीन एंड जर्क में तीसरे प्रयास की जरूरत नहीं पड़ी। वहीं इस मुकाबले में इंग्लैंड के जैक ओलिवर को सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा। उन्होंने कुल 312 का अंक अर्जित किया। आस्ट्रेलिया के फ्रांकोइस इटुउंडी ने 305 के कुल स्कोर के साथ कांस्य पदक हासिल किया।
कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का यह तीसरा गोल्ड मेडल है और कुल पांचवां पदक है। खास बात है कि अब तक सभी मेडल वेटलिफ्टिंग से ही आए हैं।
इससे पहले, राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन शुक्रवार(छह अप्रैल) को भी भारतीय भारोत्तोलकों संजीता चानू और दीपक लाठेर ने सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीतकर वेटलिफ्टिंग में भारत का वर्चस्व कायम रखा। भारत को पहले दो दिन में चार मेडल मिले हैं। ये सभी वेटलिफ्टिंग में ही मिले हैं। इससे पहले, मीराबाई ने गुरुवार गोल्ड और पी. गुरुराजा ने सिल्वर पदक जीता था। संजीता चानू राष्ट्रमंडल खेलों में पिछली बार भी गोल्ड जीत चुकी हैं। पिछली बार 48 किलो वर्ग में जबकि इस बार उन्होंने 53 किलो वर्ग में जीता। चानू ने इस बार कुल 192 किलो वजन उठाया, जोकि राष्ट्रमंडल खेलों में एक रिकॉर्ड है। माता-पिता ने खुलासा किया है कि गरीबी की वजह से वह संजीता के खानपान का ध्यान नहीं रख पाते थे। इसके बावजूद उन्होंने वेटलिफ्टिंग को करियर बनाया। संजीता को मणिपुर सरकार ने उन्हें पुलिस कॉन्स्टेबल की नौकरी दी थी। संजीता के परिवार का कहना है कि इससे उनके आत्मसम्मान को ठेस पहुंची। संजीता इस वक्त रेलवे में नौकरी कर रही हैं।