गौरी लंकेश मर्डर केसः HC ने कहा, विरोध को कुचलने का ट्रेंड खतरनाक, लिब्रल सोच वालों की समाज में नहीं बची जगह

पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा है कि विरोध को कुचलने का ट्रेंड खतरनाक है। यह देश के लिए कलंक जैसा है। कोर्ट के यह भी कहा कि देश में उदार ख्यालों और मतों की कोई इज्जत नहीं है। जस्टिस एससी धर्माधिकारी और विभा कनकावड़ी की डिविजन बेंच ने ये बातें एक याचिका की सुनवाई के दौरान कहीं, जो कि डॉक्टर-लेखक नरेंद्र दाभोलकर और लेफ्ट नेता गोविंद पानसरे के परिजनों ने दी थी। उन्होंने इसमें कोर्ट से दोनों की हत्याओं के मामले में जांच पर नजर रखने के लिए कहा था।

जस्टिस धर्माधिकारी ने इस बाबत कहा कि क्या और लोग को निशाना बनाया जाएगा? यहां उदार ख्यालों और मतों की कोई इज्जत नहीं होती। ज्यादातर लोग अपने खुले विचारों और सिद्धातों के कारण निशाने पर लिए जा रहे हैं। न केवल विचारक, बल्कि उदार विचारों में यकीन रखने वाले लोग और संस्थान भी निशाने पर लिए जा रहे हैं। यह वैसे ही है, जैसे कोई मेरा विरोध करे और मुझे उसे अपने रास्ते से हटाना पड़े। बेंच के मुताबिक, हर तरह के विरोध को कुचलने का ट्रेंड बेहद खतरनाक है। यह सबके सामने देश की बुरी छवि बना रहा है।

20 अगस्त 2013 में दाभोलकर की पुणे में हत्या कर दी थी। जबकि पानसरे पर कोल्हापुर में 16 फरवरी 2015 को हमला हुआ था, जिसके चार दिनों बाद उनकी मौत हो गई थी। सीबीआई और महाराष्ट्र सीआईडी इन दोनों की हत्याओं के मामले में अपनी जांच रिपोर्ट जमा कर चुके हैं। कोर्ट ने आगे कहा कि आपके प्रयास वास्तविक हैं, लेकिन तथ्य यह है कि मुख्य आरोपी अभी तक फरार हैं। हर स्थगनकाल के बीच में न जाने कितनी जिंदगियां जा रही होंगी। जैसे कि बेंगलुरू में पढ़ी-लिखी निर्दोष (गौरी लंकेश) की जान गई।

पांच सितंबर को लंकेश को उनके घर के बाहर अज्ञात लोगों ने गोली मार दी थी। बेंच ने यह भी पूछा कि आखिर कैसे लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, जो कि अपने सिर्फ और सिर्फ अपनी उदारवादी विचारधारा की वजह से निशाने पर लिए जा रहे हैं। कोर्ट ने एजेंसियों से जांच का तरीका बदलने को कहा है और आरोपियों की धरपकड़ के लिए तकनीक का सहारा लेने की सलाह दी है। दाभोलकर की हत्या के मामले में सीबीआई ने दो लोगों (सारंग अकोल्कर और विनय पंवार) की पहचान की गई थी। वहीं, अन्य आरोपी पकड़े जाने बाकी हैं।

 

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