SC कॉलेजियम की बैठक खत्म, नहीं निकला उत्तराखंड के जज केएम जोसेफ पर फैसला
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की अहम बैठक मंगलवार (दो मई) शाम को खत्म हुई। उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ की पदोन्नति के मामले में इस पर चर्चा हुई थी। तकरीबन 50 मिनट तक चली इस बैठक में पांच वरिष्ठ जज शामिल थे, जो कोई फैसला नहीं निकाल सके। यानी बैठक के दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने के लिए जस्टिस जोसेफ का नाम नहीं भेजा है। बैठक में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) दीपक मिश्रा, जस्टिस चेलामेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन बी लोकूर और जस्टिस कुरियन जोसफ मौजूद थे। ऐसे में उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में कॉलेजियम की बैठक में इस मसले पर फैसला हो सकेगा।
आपको बता दें कि कॉलेजियम ने 10 जनवरी को जस्टिस जोसेफ और वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा की पदोन्नति कर सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश बनाने की सिफारिश की थी। सरकार ने इस मामले में जोसेफ की फाइल को पुनर्विचार के लिए कॉलेजियम के पास लौटा दिया था, जबकि मल्होत्रा के नाम पर हामी भर दी थी। केंद्र की ओर से तर्क दिया गया था कि कई वरिष्ठ जजों को अनदेखा कर के जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश की गई है।
The consideration of the elevation of Uttarakhand High Court Justice KM Joseph to Supreme Court, has been deferred, after a Supreme Court Collegium meeting of the five senior most judges pic.twitter.com/pclmlv9duk
— ANI (@ANI) May 2, 2018
केंद्र सरकार ने इसी के साथ कहा था कि यह प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट के मानकों के अनुकूल नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व भी है। चूंकि जस्टिस जोसेफ केरल से नाता रखते हैं, लिहाजा उनके नाम की पदोन्नति की सिफारिश लौटा दी गई थी।
जस्टिस जोसेफ के नाम की सिफारिश खारिज करने पर विपक्षी पार्टियों ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा था। उनका कहना था कि न्यायपालिका में राजनीति का हस्तक्षेप हुआ है।
कांग्रेस की ओर से टिप्पणी आई थी कि कॉलेजियम की सिफारिश को मंजूर न कर के सरकार ने उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन के मामले का बदला लिया है। 2016 में राज्य में हरीश रावत की सरकार थी, तब वहां सियासी उलटफेर देखने को मिला था। केंद्र ने राष्ट्रपति शासन लागू करने की सिफारिश की थी। कांग्रेस ने तब हाईकोर्ट में गुहार लगाई थी, जिसके बाद केंद्र की सिफारिश खारिज कर दी गई थी।