Seasonal Flu: तो क्या फ्लू संक्रमण भी हो सकता है जानलेवा? सीडीसी की इस रिपोर्ट ने दुनियाभर में बढ़ा दी चिंता?

मौसमी सर्दी-खांसी और बुखार होना काफी दुनियाभर में काफी सामान्य है। मौसम में होने वाले बदलाव के कारण इन्फ्लूएंजा वायरस का संक्रमण इस प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। सामान्य दवाओं के माध्यम से ये समस्या कुछ दिनों में ठीक भी हो जाती है।

हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इन्फ्लूएंजा वायरस के दो ऐसे सैंपलों का पता लगाया है जिन्हें ड्रग-रेजिस्टेंट माना जा रहा है। मतलब वायरस के ये स्वरूप दुनियाभर में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली एंटीवायरल फ्लू दवा के प्रति प्रतिरोधी हैं। इन दवाओं से भी वायरस बच सकता है और आसानी से संक्रमण बढ़ा सकता है।

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों की टीम ने फ्लू के दो ऐसे मानव मामलों का पता लगाया है जिनपर एंटीवायरल फ्लू दवाओं का कोई प्रभाव नहीं होता है। सैंपल की जांच में पाया गया है कि इन्फ्लूएंजा वायरस में दो प्रमुख म्यूटेशन देखे गए हैं, जिसके कारण वायरस के ये स्ट्रेन न सिर्फ दवाओं से बच सकते हैं, बल्कि संक्रमण के जोखिमों को भी बढ़ाने वाले हो सकते हैं। तो क्या फ्लू संक्रमण के कारण भी गंभीर रोग और मौत के मामले बढ़ सकते हैं

मौसमी सर्दी-खांसी और बुखार होना काफी दुनियाभर में काफी सामान्य है। मौसम में होने वाले बदलाव के कारण इन्फ्लूएंजा वायरस का संक्रमण इस प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनता है। सामान्य दवाओं के माध्यम से ये समस्या कुछ दिनों में ठीक भी हो जाती है।

हालिया मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इन्फ्लूएंजा वायरस के दो ऐसे सैंपलों का पता लगाया है जिन्हें ड्रग-रेजिस्टेंट माना जा रहा है। मतलब वायरस के ये स्वरूप दुनियाभर में सबसे अधिक इस्तेमाल की जाने वाली एंटीवायरल फ्लू दवा के प्रति प्रतिरोधी हैं। इन दवाओं से भी वायरस बच सकता है और आसानी से संक्रमण बढ़ा सकता है।

सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) की रिपोर्ट के मुताबिक वैज्ञानिकों की टीम ने फ्लू के दो ऐसे मानव मामलों का पता लगाया है जिनपर एंटीवायरल फ्लू दवाओं का कोई प्रभाव नहीं होता है। सैंपल की जांच में पाया गया है कि इन्फ्लूएंजा वायरस में दो प्रमुख म्यूटेशन देखे गए हैं, जिसके कारण वायरस के ये स्ट्रेन न सिर्फ दवाओं से बच सकते हैं, बल्कि संक्रमण के जोखिमों को भी बढ़ाने वाले हो सकते हैं। तो क्या फ्लू संक्रमण के कारण भी गंभीर रोग और मौत के मामले बढ़ सकते हैं? 

इन्फ्लूएंजा वायरस में दो नए म्यूटेशन

सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक इन्फ्लूएंजा-ए वायरस (एच1एन1) में I223V और S247N नामक दो म्यूटेशन देखे गए हैं। अब तक दुनियाभर में 15 देशों से एच1एन1 वायरस के डुअल म्यूटेंट वाले कुल 101 सैंपल की पहचान की गई है। सबसे पहला सैंपल मई 2023 में कनाडा से एकत्र किया गया था। नवीनतम सैंपल जनवरी और फरवरी 2024 के दौरान यूरोप में एकत्र किए गए । नीदरलैंड्स में डुअल म्यूटेशन वाले फ्लू वायरस के सबसे अधिक 30 सैंपल रिपोर्ट किए गए हैं।

सीडीसी की रिपोर्ट ने बढ़ाई चिंता

सीडीसी की जर्नल इमर्जिंग इन्फेक्शियस डिजीज की रिपोर्ट के अनुसार, फ्लू वायरस में अन्य वायरस की तरह ही म्यूटेशन होता रहता है हालांकि अब तक के म्यूटेशन एंटीवायरल दवाओं के प्रति प्रतिरोधी नहीं थे। इस साल की शुरुआत में द लैंसेट माइक्रोब जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट में वैज्ञानिकों ने फ्लू वायरस में दो ऐसे म्यूटेशनों की पहचान की है जिनपर दवाओं का कोई असर नहीं हो रहा है।

कुछ अध्ययनों में कहा जा रहा है कि ड्रग-रेजिस्टेंट वायरस के शिकार लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और संक्रमण की गंभीर स्थितियों में मौत का भी खतरा हो सकता है। 

वायरस के दवाओं के प्रति प्रतिरोधी होने से खतरा

गौरतलब है कि कमजोर इम्युनिटी वाले और कुछ लोगों में फ्लू जैसे संक्रमण के कारण भी रोग के गंभीर रूप लेने का जोखिम रहता है। ऐसी स्थिति में एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं जो फ्लू की गंभीरता और लक्षणों की अवधि को कम करने में मदद करती हैं। हालांकि जब वायरस इन दवाओं के प्रति प्रतिरोधी हो जाते हैं तो संक्रमण की स्थिति में ये भी दवाएं बेअसर हो जाती हैं। इस स्थिति में संक्रमण बढ़ने और रोग के गंभीर रूप लेने का खतरा अधिक हो सकता है।

फ्लू के कारण मौत

सीडीसी की रिपोर्ट के मुताबिक अक्टूबर 2023 से, यूएस. में फ्लू के अनुमानित 35 मिलियन (3.5 करोड़) मामले सामने आए थे। इसमें से 3.90 लाख लोगों को अस्पताल में भर्ती होने का जरूरत पड़ी और 24,000 लोगों की मृत्यु हुई। पिछले फ्लू सीजन में यूएस. में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं द्वारा परीक्षण किए गए सैंपल जांच में 76% सैंपल इन्फ़्लूएंजा-ए के प्रकार के थे, जबकि शेष इन्फ़्लूएंजा बी के थे। पी टी आई