लिंग परिवर्तन: महिला पुलिसकर्मी को न्यायाधिकरण जाने की सलाह

बंबई हाई कोर्ट ने लिंग परिवर्तन के लिए आॅपरेशन कराने की खातिर अवकाश पर जाने की एक महिला पुलिस कांस्टेबल की अपील को लेकर सोमवार को उसे महाराष्ट्र प्रशासनिक न्यायाधिकरण जाने की सलाह दी। ललित साल्वे ने लिंग परिवर्तन का आॅपरेशन कराने के लिए एक महीने का अवकाश मांगा था लेकिन बीड़ पुलिस प्रशासन ने यह अनुरोध खारिज कर दिया। ललिता चाहती है कि लोग अब उसे ललित नाम से बुलाएं। ललिता ने पिछले हफ्ते हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अवकाश की मंजूरी के लिए महाराष्ट्र के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को निर्देश देने की मांग की। साल्वे के वकील एजाज नकवी ने याचिका पर तत्काल सुनवाई की अपील करते हुए न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति भारती दांगरे की पीठ के सामने मामले का उल्लेख किया।

न्यायमूर्ति धर्माधिकारी ने कहा, ‘हम याचिका पर क्यों सुनवाई करें? राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण जाइए।’ याचिका के मुताबिक जून, 1988 में जन्मी ललिता ने तीन साल पहले अपने शरीर में बदलाव महसूस किए और फिर चिकित्सा जांच कराई जिसमें पता चला कि उसके शरीर में वाई गुणसूत्र की मौजूदगी का पता चला। याचिका में कहा गया, ‘याचिकाकर्ता ने बाद में सरकारी जेजे अस्पताल में मनोचिकित्सकों से काउंसलिंग कराई। डॉक्टरों को पता चला कि उसमें जेंडर डिस्फोरिया ऐबनॉर्मलिटी (लैंगिक पहचान संबंधी विकार) है। यह कहते हुए उसे लिंग परिवर्तन के लिए आॅपरेशन कराने की सलाह दी और कहा कि अगर वह ऐसा चाहती है और उसका फैसला पक्का है तो वह ऐसा करा सकती है।’ इसके बाद ललिता ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से संपर्क किया और आॅपरेशन कराने के लिए एक महीने की छुट्टी मांगी।

याचिका में कहा गया, ‘पिछले हफ्ते बीड़ के पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह लिंग परिवर्तन के लिए आॅपरेशन नहीं करा सकती और उसे छुट्टी देने से मना कर दिया।’ इसमें दावा किया गया है कि बीड़ पुलिस प्रशासन का यह फैसला याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।

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