इन गांवों की सुरक्षा शनिदेव के हवाले, गांवों में लोग अपने घरों और दुकानों पर ताला नहीं लगाते
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को ज्योतिष विद्या में न्यायधीश माना जाता है। शनि देव को मनुष्य के पाप और बुरे कर्मों को दंड देने वाला देवता माना जाता है। शनि देव सूर्य और छाया के पुत्र माने जाते हैं। शनि को एक क्रूर ग्रह कहा जाता है, इनकी पत्नी का श्राप शनि की क्रूरता का कारण माना जाता है। शनि को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन तेल, काले तिल और काला वस्त्र चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि शनिदेव यदि रुष्ट हो जाए तो राजा भी रंक बन जाता है। वहीं शनिदेव की एक अनोखी कहानी भी है जिसमें वो भारत के ऐसे दो गांवों की रक्षा खुद करते हैं। इन गांवों में लोग अपने घरों और दुकानों पर ताला नहीं लगाते हैं।
शनि शिगंणापुर (महाराष्ट्र)- भगवान शनि के सबसे खास मंदिरों में महाराष्ट्र के शिगंणापुर नामक गांव का शनि मंदिर है। इस मंदिर में शनिदेव खुले आसमान के नीचे विराजमान हैं। माना जाता है कि शनि प्रतिमा पर कई बार छत बनाने का प्रयास किया गया लेकिन आज तक इस कार्य में सफलता नहीं मिल पाई है। मान्यता है कि इस शनि प्रतिमा को किसी व्यक्ति ने स्थापित किया है, ये इस स्थान पर प्राकृतिक रुप में मौजूद है। शिंगणापुर के लिए माना जाता है कि इस गांव में शनिदेव खुद वास करते हैं और स्वयं गांव की रक्षा करते हैं। जिस कारण से यहां लोग दुकानों या घरों में ताला नहीं लगाते हैं।
सताड़ा (गुजरात)- शनि शिगंणापुर की तरह ही गुजरात के एक गांव सताड़ा में भी इस तरह की मान्यताएं प्रचलित हैं। गुजरात में राजकोट के पास ही सताड़ा गांव में शनिदेव का प्राचीन मंदिर स्थापित किया गया है। सताड़ा के शनि मंदिर में भैरवनाथ मंदिर और भगवान शनि को भैरव दादा के नाम से पूजा जाता है। इस गांव में भी लोग दुकानों और घरों या कीमती सामान को तालों में नहीं रखते हैं। मान्यता है कि सताड़ा गांव में कोई चोरी की घटना होती है तो उसका न्याय शनिदेव करते हैं।