शरद यादव की चेतावनी- भूल-सुधार कर लो, वरना एकजुट न होनेवालों को बीजेपी सिखाएगी सबक
पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ समाजवादी नेता शरद यादव ने तीसरे मोर्चे की संभावनाओं से इनकार किया है और कहा है कि अगले साल होनेवाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के चुनौती देने के लिए सभी विपक्षी दल एकजुट होंगे। उन्होंने कहा कि देश में तीसरा मोर्चा बनने के कोई आसार उन्हें नजर नहीं आते। टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी और टीआरएस प्रमुख चंद्रशेखर राव द्वारा तीसरा मोर्चा बनाने की कवायद से विपक्ष की एकता के प्रयासों को धक्का लगने के सवाल पर उन्होंने कहा ‘‘मुझे नहीं लगता कि तीसरा मोर्चा वजूद में आयेगा। कुछ समय इंतजार करें, तीसरा मोर्चा बनाने वाले ही साझा विपक्ष की बात करेंगे।’’
इस भरोसे का आधार बताते हुये उन्होंने कहा ‘‘इस बार संविधान को बचाने की चुनौती है, इसके लिये ‘साझा विरासत’ के मंच पर सभी दलों और संगठनों को एकजुट करने में मिली कामयाबी से मैं आश्वस्त हूं कि सभी विपक्षी दल, मोदी सरकार की वजह से उपजे संकट से देश को उबारने के लिये तत्पर हैं।’’ यादव ने कहा कि वह सभी दलों से लगातार संपर्क बनाए हुए हैं और समय आने पर सबको एकजुट कर दिखायेंगे। विपक्षी दलों की एकजुटता को ही एकमात्र विकल्प बताते हुये यादव ने कहा कि क्षेत्रीय और निजी हितों की खातिर जो दल इस जरूरत को नजरंदाज करेंगे, उन्हें भविष्य में भाजपा ही सबक सिखायेगी। यादव ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर समान विचारधारा वाले सभी विपक्षी दलों की एकजुटता, गंभीर चुनौती जरूर है लेकिन यह चुनौती नामुमकिन नहीं है।
कांग्रेस, सपा, राजद और रालोद सहित अन्य विपक्षी दलों की कमान संभाल रहे युवा नेतृत्व की गलतियों से भाजपा के मजबूत होने के सवाल पर यादव ने कहा ‘‘अनुभव को नकारने की गलती का खामियाजा भुगतना होता है और इस गलती को सुधारने का परिणाम भी तुरंत मिलता है।’’ उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा पार्टी संरक्षक मुलायम सिंह यादव की बात नहीं मानने और बाद में भूल सुधार कर उपचुनाव में बसपा से हाथ मिलाने का परिणाम सामने है। इसी तरह बिहार में महागठबंधन बना कर ऐतिहासिक जीत दर्ज करने और नीतीश कुमार द्वारा इसे तोड़ने के बाद हुये उपचुनाव में मिली पराजय भी सबके सामने है। उन्होंने कहा ‘‘इसीलिये मैं कहता हूं कि जो एकजुट नहीं होने की गलती से सबक नहीं लेगा, उसे बाद में भाजपा ही सबक सिखायेगी।’’
उन्होंने चार दशक के अपने राजनीतिक अनुभव के हवाले से कहा ‘‘आपातकाल से लेकर अब तक, जब जब देश में राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक हालात आज की तरह नाजुक हुये, तब-तब विपक्षी दलों ने एकजुट होकर फिरकापरस्त ताकतों को मुंहतोड़ जवाब दिया।’’ उन्होंने कहा कि आपातकाल की तरह, इस समय भी देश का सामाजिक तानाबाना संकट में है, नोटबंदी और जीएसटी के कारण अर्थव्यवस्था बदहाल है, मध्यम और निचले तबके के लोगों की रोजी रोटी छिन रही है और संविधान की मर्यादा का प्रतिदिन उल्लंघन हो रहा है।’’ यादव की अगुवाई में जदयू से अलग हुये कुछ नेताओं द्वारा नयी पार्टी बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के महागठबंधन से अलग होने से व्यथित नेताओं ने ‘लोकतांत्रिक जनता दल’ (लोजद) का गठन किया है। हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि वह प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस पार्टी से नहीं जुड़े हैं लेकिन आगामी 18 मई को पार्टी के पहले राष्ट्रीय सम्मेलन में वह बतौर विशिष्ट आमंत्रित के रूप में शिरकत करेंगे। इस दिन समाजवादी विचारधारा वाले तमाम क्षेत्रीय दलों का लोजद में विलय होगा। उन्होंने कहा कि भविष्य में लोजद विपक्ष की एकजुटता का मजबूत मंच बनेगा।
मौजूदा हालात की तुलना आपातकाल से करने के सवाल पर यादव ने कहा ‘‘पहली बार देश की सरकार सिर्फ तेल से वसूली गयी कीमत से चल रही है।’’ उन्होंने सरकारी आंकड़ों के हवाले से कहा कि सालाना 24 लाख करोड़ रुपये के कुल बजट वाली केन्द्र सरकार ने 19.61 लाख करोड़ रुपये, पेट्रोल डीजल पर जनता से वसूले गये उत्पाद कर से अर्जित किये। इनमें 11.48 लाख करोड़ रुपये केन्द्र सरकार ने और 8.31 लाख करोड़ रुपये राज्यों ने वसूली की है। इससे अर्थव्यवस्था की बदहाली और आम आदमी पर पड़ रहे इसके बोझ की तस्वीर को समझना आसान है।