शेल्टर होम केस में हुए हंगामे के बाद अब जाकर एक्शन में आई सरकार, कई अफसर हुए सस्पेंड
बिहार के मुजफ्फरपुर में शेल्टर होम में हुए यौनाचार के बाद हरकत में आई नीतीश सरकार ने समाज कल्याण विभाग के कई अधिकारियों पर गाज गिराई है। भोजपुर, मुंगेर, अररिया, मधुबनी और भागलपुर में पदस्थापित समाज कल्याण विभाग के असिस्टेंट डायरेक्टरर्स को सस्पेंड कर दिया है। सरकार ने यह कार्रवाई टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस (टिस) के सोशल ऑडिट रिपोर्ट के आधार पर की है। बता दें कि इसी रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 34 बच्चियों के साथ कई दिनों तक रेप की बात उजागर हुई थी। इसके बाद मुजफ्फरपुर से पटना और विधान सभा से लेकर संसद तक हंगामा मचा हुआ है। शनिवार (04 अगस्त) को ही शाम में नई दिल्ली के जंतर मंतर पर तमाम विपक्षी दलों के नेताओं ने मुजफ्फरपुर कांड के विरोध में न केवल धरना दिया बल्कि नीतीश सरकार से राज्य के सभी शेल्टर होम्स की जांच कराने और टिस की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने की मांग की थी।
इससे पहले राज्य के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने कार्रवाई करते हुए ड्यूटी में लापरवाही बरतने के आरोप में चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया। राज्यपाल ने पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद को भी पत्र लिखकर राज्य के सभी शेल्टर होम्स की निगरानी करने को कहा है। तीनों से राज्यपाल ने फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर यौन उत्पीड़न के मामलों की त्वरित सुनवाई करने की भी सलाह दी है। हालांकि, राज्यपाल ने राज्य सरकार द्वारा मामले में की गई कार्रवाई की तारीफ की है और केस की जांच सीबीआई से कराने का भी स्वागत किया है। शुक्रवार (03 अगस्त) को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मामले में चुप्पी तोड़ते हुए कहा था कि इस घटना की वजह से शर्मिंदगी हुई है। नीतीश ने कहा कि सरकार की की तरफ से मामली जांच करने में कोई लापरवाही नहीं बरती जाएगी। उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट की निगरानी में सीबीआई इसकी जांच करेगी।
अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में 34 में से 29 नाबालिग बच्चियों के साथ यौनाचार हुआ है। इस मामले में शेल्टर होम के 11 कर्मचारियों समेत उसके संचालक ब्रजेश ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया गया है। ठाकुर एनजीओ सेवा संकल्प एवं विकास समिति का मुख्य कर्ता-धर्ता है।