पंजाब के पूर्व अकाली मंत्री का ऑस्ट्रेलिया में जूता फेंक किया गया अपमान, पुलिसवालों ने सही सलामत निकाला
पंजाब में शिरोमणि अकाली दल से मंत्री रहे सिकंदर सिंह मलूका को ऑस्ट्रेलिया में फजीहत का सामना करना पड़ा है। रविवार को एक कार्यक्रम के दौरान उन पर जूता फेंका गया। घटनास्थल पर मौजूद कुछ सिख और पंजाबी कार्यकर्ता मलूका का विरोध कर रहे थे, जिसके बाद उन्हें पुलिस वालों ने वहां से सही-सलामत बाहर निकाला। आठ अप्रैल को मेलबर्न शहर में एलवनस पार्क में किंग्स कबड्डी इंटरनेशनल कप मैच का आयोजन किया गया था। मलूका को वहां पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया था।
मलूका और पंजाब कबड्डी एसोसिएशन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष तेजिंदर सिंह मिड्डूखेड़ा को सम्मानित किया जाना था। सिख फेडरेशन ऑफ ऑस्ट्रेलिया के कुछ सदस्य इसी बीच मलूका के खिलाफ नारे लगाने लगे। अचानक उन्हीं में से एक शख्स ने मैच के दौरान मलूका की ओर जूता फेंका, जिसके बाद कुछ और लोगों ने उनकी ओर जूते फेंके। अच्छी बात यह रही कि फेंके गए जूते उन तक पहुंचे नहीं।
पुलिस ने इसके बाद फौरन मलूका को वहां से निकाला। वहीं, जूता फेंकने वाले शख्स को पकड़ा गया, जिसकी शिनाख्त मनवीर सिंह के रूप में हुई है। हालांकि, पूछताछ करने के बाद उसे छोड़ दिया गया था। जूता फेंकने वाला शख्स पूर्व अकाली-भाजपा सरकार में धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी के मामलों को लेकर आक्रोशित था। मनवीर के मुताबिक, बेअदबी कांड को लेकर सिखों ने ‘काली दिवाली’ मनाने की बात कही थी, जबकि तत्कालीन मंत्री मलूका ने दीये जलाने को कहा था। आपको बता दें कि बठिंडा में 2015 में बेअदबी के मामलों से आक्रोश में आए बुजुर्ग ने कथित तौर पर मलूका को तमाचा जड़ दिया था।
पूर्व मंत्री इससे पहले भी विदेश में बड़े स्तर पर विरोध का सामना कर चुके हैं। मंत्री रहते हुए कनाडा के दौरे पर पुलिस ने उन्हें कार्यक्रम स्थल पर जाने से रोक दिया था, क्योंकि वहां पर मलूका के खिलाफ लोग नारेबाजी कर रहे थे और विरोध जता रहे थे। मलूका ने तब कनाडाई पुलिस को वीआईपी लोगों की सुरक्षा न कर पाने की वजह से नालायक बताया था। कनाडा के रक्षा मंत्री जेसन केन्ने ने तब अकाली मंत्रियों से कहा था कि वे अपने घर लौट जाएं और पंजाब में जाकर स्थानीय राजनीति करें।
बेअदबी कांड क्या है?: फरीदकोट के कोटकपुरा स्थित बरगाड़ी गांव में 12 अक्टूबर 2015 को गुरु ग्रंथ साहिब को फाड़कर गलियों में फेंका गया था। सिखों ने इसके विरोध में प्रदर्शन किया था। सिखों और पुलिस के बीच हाथापाई हुई थी, जिसके बाद पुलिस ने फायरिंग की थी। हमले में दो युवकों की मौत हो गई थी, जबकि कई घायल हुए थे।