ननकाना साहिब गयी पंजाब की सिख महिला का पाकिस्तान मे अपहरण कर जबरन कराई गई पाकिस्‍तानी से शादी

भारत से सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था मे शामिल होकर पाकिस्तान में पंजाब साहिब गुरुद्वारा और ननकाना साहिब के दर्शन के लिए गयी एक सिख महिला का पाकिस्तान में अपहरण करने, जबरन धर्म परिवर्तन कराने और  पाकिस्तानी से जबरन शादी करने का एक मामला आया है

महिला का नाम किरण बाला है। 13 अप्रैल को भारत से सिख श्रद्धालुओं का एक जत्था पाकिस्तान में पंजाब साहिब गुरुद्वारा और ननकाना साहिब के दर्शन के लिए पहुंचा। 16 अप्रैल को इस जत्थे में शामिल किरण बाला अचानक लापता हो गईं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किरण बाला ने अचानक पाकिस्तान के इस्लामाबाद स्थित विदेश मंत्रालय में अपनी वीजा अवधि कुछ दिन और बढ़ाने के लिए दरख्वास्त भेजी। इस एप्लिकेशन में किरण का नाम अमना बीबी लिखा हुआ है, जबकि एप्लिकेशन पर हस्ताक्षर अमीना के नाम से हुआ है।

पाकिस्तानी मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, 16 अप्रैल को किरण ने इस्लाम धर्म कबूल कर लिया और लाहौर के हंजवर मुल्तान इलाके में रहने वाले मुहम्मद अजाम से उन्होंने शादी कर ली। इस ख़बर के सामने आने के बाद भारत में रहने वाले किरण बाला के परिजन हैरान हैं। किरण के ससुर ने अंदेशा जताया है कि पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने जबरन उनकी बहू का धर्म परिवर्तन कराया और उनकी दोबारा शादी करा दी। यहां आपको बता दें कि किरण बाला तीन बच्चों की मां हैं और साल 2013 में उनके पति का देहांत हो चुका है।

भारत में रहने वाले किरण के ससुर तरसेम सिंह का कहना है कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) का एक डेलिगेशन पाकिस्तान गया हुआ था। उनकी बहू भी इसी जत्थे का हिस्सा थीं। लेकिन अब तक एसजीपीसी या फिर विदेश मंत्रालय में से किसी ने भी उनसे कोई संपर्क नहीं किया है। तरसेम सिंह ने कहा कि यह जत्था 21 अप्रैल को वापस लौटने वाला था और मैं चाहता हूं कि मेरी बहू वहां से सही-सलामत वापस आ जाए।

तरसेम सिंह ने यह भी आशंका जताई कि उनकी बहू सोशल साइट फेसबुक के जरिए किसी पाकिस्तानी शख्स के संपर्क में थीं। उन्होंने बतलाया कि कई बार फेसबुक पर वो किसी पाकिस्तानी शख्स से संपर्क में रहती थीं। आपको बता दें कि करीब 1700 भारतीयों का एक जत्था इस यात्रा पर गया हुआ है। इस यात्रा को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव भी है। दरअसल, पाकिस्तानी अधिकारियों ने भारतीय दूतावास के अधिकारियों को भारत से आए तीर्थयात्रियों से मिलने की इजाजत नहीं दी है। खबर यह भी है कि जहां भारतीय तीर्थयात्री गए हैं, वहां खालिस्तान के पोस्टर भी लगाए गए हैं।

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