सीतापुर हत्याकांड: परिवार को मारने के बाद अजीत ने धो दिए थे खून से सने कपड़े, पुलिस को मिले चौंकाने वाले तथ्य,

सीतापुर के रामपुर मथुरा थाना क्षेत्र के पल्हापुर में मां, भाई, उसकी पत्नी व तीन बच्चों की हत्या करने वाला आरोपी बड़ा भाई अजीत बेहद शातिर है। महमूदाबाद के एक प्राथमिक विद्यालय में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात अजीत ने छह लोगों की सुनियोजित ढंग से हत्या करने के बाद चालाकी से मनगढ़ंत कहानी बनाकर पूरा आरोप अपने भाई पर ही मढ़ दिया। कड़ाई से पूछताछ के बाद उसने वारदात को अंजाम देने की बात कबूल ली है। अब अजीत से पूछताछ कर रही एसओजी को कई चौंकाने वाले तथ्य मिले हैं। 

पता चला है कि उसने हत्या के बाद खून से सने अपने कपड़े धोये थे। पुलिस से बचने के लिए उसने अपने कपड़े छिपा दिए थे। फॉरेंसिक टीम ने उसकी निशानदेही पर इन कपड़ों को बरामद कर लिया है। आईजी की क्राइम टीम ने भी उससे पूछताछ की है।

पल्हापुर गांव निवासी अनुराग सिंह (45), उसकी पत्नी प्रियंका सिंह (40), मां सावित्री (62) की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी। वहीं प्रियंका के तीन बच्चों अस्वी (12), अर्ना (8) व पुत्र आद्विक (4) को छत से फेंका गया था। पुलिस के पहुंचने पर अनुराग के बड़े भाई अजीत ने बताया था कि नशे की लत की वजह से भाई अनुराग ने मां सावित्री के साथ अपनी पत्नी प्रियंका व तीन बच्चों की हत्या कर दी। इसके बाद गोली मारकर खुद आत्महत्या कर ली। 

उसे भी मारने का प्रयास किया लेकिन उसने कमरा बंद कर खुद की जान बचा ली। हड़बड़ाहट में पुलिस भी शुरुआत में इन हत्याओं के लिए अनुराग को ही जिम्मेदार ठहरा रही थी। लखनऊ से डीजीपी प्रशांत कुमार के हस्तक्षेप के बाद आईजी तरुण गाबा खुद जांच करने पहुंचे। रविवार को आई पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने भी पुलिस की पूरी थ्योरी पलट दी। 

अनुराग के सिर में दो गोलियां मारे जाने की पुष्टि होने पर पुलिस ने अनुराग के ताऊ आरपी सिंह, अजीत और उसकी पत्नी के साथ दो नौकरों समेत कई अन्य को हिरासत में लिया था। पुलिस अधिकारियों के अनुसार कई सवालों के जवाब देने में अजीत फंस गया। सख्ती से पूछताछ के बाद उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया। 

बताते हैं कि तीन लोगों को गोली मारने के बाद क्रूरता से बच्चों को मौत के घाट उतारा गया। उनके शरीर पर मिले चोटों के निशान इस बात की गवाही दे रहे हैं कि हत्या करने वाले ने यह पूरी तरह से सुनिश्चित कर लिया था कि कोई जिंदा न रह सकें। शनिवार भोर करीब पांच बजे पुलिस को हत्याकांड की जानकारी दी थी। 

एसपी की मानें तो मौके पर फॉरेंसिक टीम ने एक असलहा बरामद किया है। वहीं खून से सना एक हथौड़ा भी बरामद हुआ है। सूत्रों के मुताबिक इस हत्याकांड में अजीत के साथ दो से अधिक लोग शामिल थे।

ये लोग कौन हैं, इसका पता अभी नहीं चल सका है। पुलिस अभी खुलकर कुछ भी नहीं बोल रही है। अधिकारी जल्द खुलासा होने की बात कह रहे हैं। हालांकि देर रात ताऊ आरपी सिंह, अजीत की पत्नी विभा को पुलिस ने छोड़ दिया है।

काफी पहले रच ली थी साजिश
सूत्रों की मानें तो अजीत ने इस हत्याकांड की काफी पहले ही साजिश रच ली थी। बस वह सही मौके की तलाश में था। स्कूलों में छुट्टी के बाद प्रियंका व अनुराग के बच्चों के गांव आने की बात जब पता चली तो उसने इस हत्याकांड को अंजाम देने की बात ठान ली। उसने अपने एक परिजन व दो अन्य लोगों के साथ मिलकर साजिश रची है। इसके बाद शुक्रवार देर रात करीब 3 बजे इस हत्याकांड को अंजाम दिया। मासूम बच्चों को उसने बड़ी ही बेदर्दी से दो मंजिल से नीचे फेंक दिया।

पिता के लोन को चुकाने के विवाद व प्रापर्टी बताई जा रही वजह
सूत्रों के अनुसार पुलिस पूछताछ में कारण पूछे जाने पर अजीत ने पिता के लोन को चुकाने के विवाद के अलावा प्रापर्टी का विवाद बताया है। अजीत प्रापर्टी बेचकर ही पिता का लोन अदा करना चाहता था लेकिन अनुराग अपनी मेहनत से खेती कर ऋण चुकाने के पक्ष में था।

इस बात पर अनुराग और अजीत के बीच अक्सर विवाद होता रहता था। वहीं, अनुराग से उसका ताऊ आरपी सिंह भी नाराज रहता था। प्रापर्टी के विवाद में अनुराग की उनसे ठनी रहती थी। यह सब कारण ही हत्याकांड की वजह बने।

चहेते एसएचओ की हड़बड़ी ने कराई एसपी की किरकिरी
रामपुर मथुरा में एसएचओ महेश चंद्र पांडेय एसपी चक्रेश मिश्र के करीबी माने जाते हैं। यह थाने से पूर्व वह जिला अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (डीसीआरबी) में तैनात रहे हैं। महेश चंद्र पांडेय के खिलाफ कई स्थानीय नेताओं ने गंभीर आरोप लगाए थे। जब पल्हापुर गांव में इस घटना की सूचना एसएचओ को मिली तो उन्होंने गांव पहुंचकर घटनास्थल का जायजा लिया।

महेश चंद्र पांडेय ने ही अजीत से पूछताछ की। इसके बाद अजीत के बयानों को सच मानकर एसपी चक्रेश मिश्र को ब्रीफ कर दिया। यही वजह रही कि एसपी चक्रेश मिश्र ने अनुराग को मानसिक विक्षिप्त बता दिया। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या का खुलासा हुआ तो एसपी को अपना ट्वीट डिलीट करना पड़ा।पीटीआई.