यूपी उपचुनाव मे BJP के खिलाफ एक हुए मायावती और अखिलेश, बसपा का सपा को समर्थन का ऐलान
उत्तर प्रदेश में लगभग 25 साल बाद एक नया राजनीतिक समीकरण आकार ले रहा है। उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और फूलपुर लोकसभा उपचुनाव के लिए अखिलेश और मायावती एक साथ हो गये हैं। रविवार (4 मार्च) को गोरखपुर में बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार को साथ देने का ऐलान किया। बीएसपी नेता घनश्याम खरवार ने गोरखपुर में कहा, “बहन जी के निर्देश पर देश और प्रदेश को खत्म करने वाली ताकतों को खत्म करने के लिए गोरखपुर के उपचुनाव में पिछड़े के बेटे प्रवीण निषाद और समाजवादी पार्टी को समर्थन देने का ऐलान किया है। ” बीएसपी के इलाहाबाद के जोनल कॉर्डिनेटर अशोक गौतम ने कहा कि बीएसपी बीजेपी का सफाया करना चाहती है इसलिए उनकी पार्टी ने एसपी को समर्थन देने का ऐलान किया है। उन्होंने कहा, “हमारे कार्यकर्ता बीजेपी को खत्म करना चाहते हैं इसलिए बहुजन समाज पार्टी के कार्यकर्ताओं ने फूलपुर में समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार नगेन्द्र सिंह पटेल को वोट और सपोर्ट करने का फैसला किया है।
BSP (Bahujan Samaj Party) Gorakhpur in-charge Ghanshyam Chandra Kharwar declared support to Samajwadi Party (SP) candidate Praveen Kumar Nishad in upcoming Gorakhpur by-poll pic.twitter.com/4f1YSou3ho
— ANI UP (@ANINewsUP) March 4, 2018
Our workers want to eliminate BJP & that is why the members of Bahujan Samaj Party (BSP) have decided to extend support & vote for Samajwadi Party (SP) candidate Nagendra Singh Patel in Phulpur by-poll: Ashok Gautam, BSP Zonal Coordinator, Allahabad pic.twitter.com/R2vRFY6Lx5
— ANI UP (@ANINewsUP) March 4, 2018
बता दें कि 11 मार्च को गोरखपुर और फूलपुर उपचुनाव के लिए वोटिंग है। इसके नतीजे 14 मार्च को आएंगे। योगी आदित्यनाथ के सीएम और केशव मोर्या के डिप्टी सीएम बनने से ये सीटें खाली हुईं थी। बीजेपी इस सीट को फिर से हर हाल में जीतना चाहती है, दरअसल इन सीटों के उपचुनाव योगी सरकार की लोकप्रियता का पैमाना भी साबित होंगे। इससे पहले 1993 में उत्तर प्रदेश की सत्ता में SP-BSP के बीच ऐतिहासिक गठबंधन हुआ था और मुलायम सिंह ने सत्ता संभाली थी। हालांकि ये सरकार मात्र डेढ़ साल चली थी। मायावती ने 2 जून 1995 को इस सरकार से समर्थन वापस ले लिया और अल्पमत में आकर मुलायम सिंह की सरकार गिर गई। इससे पहले उत्तर प्रदेश का बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड काफी सुर्खियों में रहा था। दरअसल मायावती द्वारा समर्थन वापसी के बाद मुलायम सरकार को बचाने के लिए जोड़-तोड़ किये जाने लगे। इसी कड़ी में एसपी के कुछ नेता और विधायक लखनऊ के मीराबाई मार्ग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस पहुंच गए, यहां पर मायावती कमरा नंबर – 1 में ठहरी हुईं थी। यहां पर बीएसपी सुप्रीमो के साथ कुछ नेताओं ने बदसलूकी की और उनके साथ मारपीट की। मायावती अपने राजनीतिक जीवन में इस घटना को कभी भूल नहीं पाईं और तब से लेकर आजतक सपा से उनकी सियासी अदावत रही।
गोरखपुर उपचुनाव के लिए सपा-बसपा के बीच दोस्ती की खबरें काफी समय से आ रहीं थी, लेकिन तीन मार्च को त्रिपुरा में बीजेपी की प्रचंड जीत से इस दोस्ती की खबर को और भी पक्का कर दिया। हालांकि सीएम योगी आदित्यनाथ ने इन दोनों दलों की दोस्ती पर तंज कसा है। योगी ने कहा कि ‘बेर-केर‘ का मेल नहीं हो सकता। उन्होंने इसके लिये रहीम का दोहा पढ़ा ‘‘कहू रहीम कैसे निभाई, बेर केर के संग, वे डोलत रस आपने, उनके फाटत अंग।’’ इस सवाल पर कि सपा और बसपा में से केर (केला) कौन है और बेर कौन, योगी ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि यह किसी से छुपा नहीं है कि गेस्ट हाउस काण्ड किसने किया और स्मारकों को ध्वस्त करने की चेतावनी कौन लोग दे रहे थे। अब आप लोग स्वयं अंदाजा लगायें कि केर और बेर में कौन-कौन लोग हैं। योगी का इशारा वर्ष 1995 में कथित रूप से सपा प्रायोजित गेस्ट हाउस काण्ड की तरफ था, जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती को लखनऊ स्थित गेस्ट हाउस में मार डालने की साजिश का आरोप है।