साधु वासवानी मिशन के प्रमुख आध्यात्मिक गुरु दादा वासवानी का 99 साल की उम्र में हुआ निधन

आध्यात्मिक गुरु दादा वासवानी का निधन हो गया है। वह 99 साल के थे। गुरुवार (12 जुलाई) को उन्होंने अंतिम सांस ली। वह साधु वासवानी मिशन के प्रमुख थे। शाकाहार और पशु अधिकारों को बढ़ावा देने व गैर-सांप्रदायिक आध्यात्मिक गुरु के रूप में दुनिया उन्हें जानती थी। वासवानी ने 150 से अधिक किताबें लिखी थीं।

सिंध (अब के पाकिस्तान) के हैदराबाद में दो अगस्त 1918 को उनका जन्म हुआ था। उनका पूरा नाम जशन पहलराज वासवानी था। वह जिस संस्था के प्रमुख थे, उसकी स्थापना उनके गुरु साधु टी.एल.वासवानी ने की थी। महाराष्ट्र के पुणे में मिशन के मुख्यालय के अलावा देश भर में उसके केंद्र फैले हैं।

पुणे स्थित मिशन मुख्यालय में उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। वासवानी के सात भाई-बहन थे, जिनमें तीन बहनें और चार भाई थे। पिता हैदराबाद में शिक्षक थे। दादा वासवानी के गुजरने की पुष्टि मिशन की ओर से आज की गई। कहा गया, “पवित्र गुरुवर दिवस 12 जुलाई को हमारे प्रिय दादा जेपी वासवानी हमें छोड़कर चले गए।”

आध्यात्मिक गुरु ने लंदन स्थित ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमंस, अमेरिका के शिकागो में वर्ल्ड पार्लियामेंट ऑफ रिलीजंस और मिलेनियम वर्ल्ड पीस समिट ऑफ रिलीजंस सरीखे स्थानों पर वह भाषण देकर दुनिया भर में अपने अमूल्य विचार साझा किए थे।

संयुक्त राष्ट्र (यूएन) ने उन्हें 1998 के ‘यू थैंट पीस अवॉर्ड’ से भी सम्मानित किया था। वासवानी का जन्मदिन ग्लोबल फॉरगिवनेस डे (विश्व माफी दिवस) के रूप में मनाया जाता है। बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके 99वें जन्मदिन पर वीडियो कॉन्फ्रेंस कर लोगों को संबोधित किया था।

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