कुछ समूहों द्वारा जम्मू के अखबारों में दिए विज्ञापन में रोहिंग्या मुसलमानों को ‘टाइम बम’ बताकर निकालने की अपील
जम्मू में कुछ समूहों द्वारा लोकल न्यूज़ पेपर में विज्ञापन देकर रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ जनता में संदेश पहुंचाया जा रहा है। मुख्य रूप से चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री और नेशनल पैंथर्स पार्टी जैसे संगठनों द्वारा विज्ञापन दिया जा रहा है। इन विज्ञापनों में रोहिंग्या मुसलमानों को ‘टाइम बम’ बताकर जम्मू के लिए खतरा बताया जा रहा है। एक विज्ञापन में लिखा है, ‘रोहिंग्या: टिक-टिक करते टाइम बम हैं। जम्मू को बचाने के लिए इन्हें बाहर निकाला जाए। इनके कारण शांति पसंद करने वाले जम्मू वासियों को काफी परेशानी हो रही है। जम्मू को बचाने के लिए एक होना जरूरी है।’ आपको बता दें कि पैंथर्स पार्टी ने रोहिंग्या मुसलमानों के निष्कासन के लिए प्रदर्शन भी किया था।
रोहिंग्या को निकालने का प्रयास यूं तो काफी महीनों से किया जा रहा है, लेकिन विज्ञापन के जरिए लोगों से अपील करने की कवायद 10 फरवरी को हुए आतंकी हमले के बाद से शुरू हुई है। यहां तीन आतंकियों ने सुजवां मिलिट्री स्टेशन के अंदर एक परिवार के ऊपर हमला कर दिया था। इस हमले में 6 जवान शहीद हुए थे तो 1 नागरिक की मौत हो गई थी। इस मिलिट्री स्टेशन के पास बहुत से रोहिंग्या मुसलमानों ने अपना डेरा जमा रखा है।
आतंकी हमले के बाद रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी जम्मू का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘मिलिट्री स्टेशन से लगे हुए इलाके इस तरफ इशारा करते हैं कि यहां आतंकियों को लोगों से समर्थन मिल रहा है।’ वहीं हमले के करीब एक घंटे बाद बीजेपी विधायक कवींद्र गुप्ता ने इस अटैक के लिए दो निश्चित देशों के प्रवासियों को जिम्मेदार ठहराया था। पैंथर्स पार्टी के अध्यक्ष बलवंत मणिकोटिया ने कहा कि वह अपने जैसे अन्य संगठनों से भी जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि सब एक साथ मिलकर इन प्रवासियों को देश से निष्कासित करने के लिए सरकार पर दबाव बना सकें। वहीं चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष राकेश गुप्ता ने कहा कि वह रोहिंग्या मुसलमानों के निष्कासन के पक्ष में तो हैं, लेकिन फिलहाल वह इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहे हैं। वहीं चैम्बर के सचिव गौरव गुप्ता का कहना है कि वह समुदायों के बीच ताल-मेल स्थापित करने के पक्ष में तो हैं, लेकिन रोहिंग्या मुसलमानों के बसने का विरोध करते हैं। उनके मुताबिक रोहिंग्या का यहां बसना आर्टिकल 370 का उल्लंघन होगा। उन्होंने कहा, ‘इन प्रवासियों का यहां बसना स्थानीय लोगों की सुरक्षा को प्रभावित करता है, क्योंकि स्थानीय पुलिस के पास उनके पिछले जीवन के बारे में कोई रिकॉर्ड नहीं है।’