नालाबिग छात्र की जब पुलिस ने नही सुनी तो उसने डीजीपी का फेक अकाउंट बना पुलिस से आदेश मनवाया

एक जालसाज को पकड़ने के लिए उसने खुद भी जालसाजी की और पकड़ा गया कानून के हाथो। यह कहानी है हाईस्कूल में पढ़ने वाले एक नालाबिग छात्र की। जिसके परिवार को जब न्याय मिला तो उसने उत्तर प्रदेश के मुखिया के नाम से फर्जी ट्विटर अकाउंट बना लिया और इस अकाउंट के जरिए वो पुलिस वालों को जरूरी दिशा-निर्देश भी देना लगा। जानकारी के मुताबिक कुछ समय पहले गोरखपुर के इस लड़के के भाई से किसी जालसाज ने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर 45,000 रूपए ऐंठ लिए। जालसाज से पैसे वापस निकालने के लिए ही इस छात्र ने यह खेल खेला। इस छात्र ने अपने भाई के साथ हुई धोखाधड़ी का जिक्र अपने एक दोस्त से किया। छात्र के दोस्त ने उसे एक फेक ट्विटर अकाउंट बनाने का आइडिया दिया। कम्प्यूटर के जानकार इस छात्र को दोस्त की यह तरकीब खूब पसंद आई।

इस छात्र ने डीजीपी ओपी सिंह के नाम से एक फर्जी ट्विटर हैंडल बनाया। इस अकाउंट में डीजीपी का नाम लिखा हुआ था और उनकी एक तस्वीर भी लगी हुई थी। इतना ही नहीं जल्दी ही इस छात्र ने पुलिस वालों को निर्देश दिया कि वो उसके परिवार के साथ हुई धोखाधड़ी के मामले में कार्रवाई करें। निर्देश मिलते ही पुलिस ने इस मामले में आरोपी जालसाज अंसारी को पकड़ लिया और करीब 30,000 रूपए पीड़ित परिवार को वापस भी मिल गए। जालसाजी के आरोपी अंसारी ने बची हुई रकम भी जल्द ही वापस करने का वादा किया।

इधर इस मामले में जब गोरखपुर पुलिस ने डीजीपी कार्यालय को केस के प्रोगेस के बारे में सूचित तो वो सुनकर हैरान रह गए कि डीजीपी कार्यालय की तरफ से इस केस को लेकर कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया गया था। इसके बाद डीजीपी कार्यालय की तरफ से हजरतगंज थाने में फर्जी ट्विटर अकाउंट को लेकर मुकदमा दर्ज कराया गया। सर्विलांस टीम इस फर्जी अकाउंट के उद्भेदन में शिद्दत से जुट गई। जांच कर रही साइबर सेल की नजर ट्विटर अकाउंट पर दिए गए मोबाइल नंबर पर पड़ी।

जल्द ही मोबाइल नंबर के जरिए पुलिस भटहट के मोइदीनपुर टोला के एक लड़के के पास पहुंची। इसी लड़के की मदद से आरोपी छात्र को पुलिस ने पकड़ लिया। आरोपी छात्र ने बतलाया कि अपने परिवार के साथ हुई जालसाजी से वो काफी परेशान था। उसके पिता ने कई बारे थाने में जाकर इस मामले में कार्रवाई की गुहार लगाई। लेकिन कहीं से इंसाफ नहीं  मिलता देख उसने यह कदम उठाया। इस मामले में दोनों ही आरोपी छात्र नाबालिग हैं और स्कूल में पढ़ाई करते हैं। लिहाजा पुलिस ने उनके भविष्य को देखते हुए उन्हें आगे से ऐसा ना करने की कड़ी हिदायत देकर छोड़ दिया है।

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