सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से पूछा- समझाएं, आधार से मोबाइल नंबर लिंक कराना क्यों जरूरी
सामाजिक कल्याण की विभिन्न योजनाओं का लाभ लेने के लिए आधार को अनिवार्य बनाने संबंधी केन्द्र के कदम को चुनौती देने वाली याचिका को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार की खिंचाई की है। कोर्ट ने सोमवार को कहा कि यह संघीय व्यवस्था के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि एक राज्य कैसे संसद के जनादेश को चुनौती दे सकता है? उसने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को स्वयं एक व्यक्ति के तौर पर इस मामले में अपील दायर करनी चाहिए। हालांकि, एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा है कि हमें समझाए कि मोबाइल फोन को आधार नंबर से लिंक कराना क्यों जरूरी है?
ममता बनर्जी सरकार वाली याचिका की सुनवाई करते हुए जस्टिस ए. के. सीकरी और जस्टिस अशोक भूषण की पीठ ने कहा, ‘एक राज्य ऐसी याचिका कैसे दायर कर सकता है। संघीय व्यवस्था में, एक राज्य कैसे संसद के जनादेश को चुनौती देने वाली याचिका दायर कर सकता है।’
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायालय को बताया कि यह अपील राज्य के श्रम विभाग ने दायर की है क्योंकि इन योजनाओं के तहत सब्सिडी वही वितरित करता है। पीठ ने कहा, ‘आप हमें संतोषजनक उत्तर दें कि कैसे एक राज्य इसे चुनौती दे सकता है। हम जानते हैं कि इस मुद्दे पर विचार की जरूरत है। केन्द्र के कदम को कोई व्यक्ति चुनौती दे सकता है, राज्य नहीं। ममता बनर्जी को एक व्यक्ति के रूप में अपील दायर करने दें, हम उसपर विचार करेंगे क्योंकि वह (ममता) एक व्यक्ति होंगी।’ हालांकि, सिब्बल ने कहा कि राज्य ऐसी अपील दायर कर सकता है, लेकिन उन्होंने कहा कि वह अपील में लिखे अनुरोध में बदलाव करेंगे।
इस बीच न्यायालय ने मोबाइल नंबरों को आधार से जोड़ने को चुनौती देने वाली एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवायी करते हुए केन्द्र को नोटिस जारी किया और उस पर चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा। केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमें चार सप्ताह के भीतर ये बताएं कि मोबाइल फोन को आधार नंबर से लिंक करना क्यों जरूरी है?
पश्चिम बंगाल सरकार ने उस प्रावधान को चुनौती दी है जिसमें कहा गया है कि आधार के बिना सामाजिक कल्याण योजनाओं का लाभ नहीं दिया जाएगा। इससे पहले केन्द्र ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को उनसे जोड़ने की अनिवार्यता की तिथि बढ़ाकर 31 मार्च, 2018 कर दिया गया है। यह प्रावधान उनके लिए किया गया है जिनके पास अभी भी 12 डिजिट की बायोमीट्रिक पहचान संख्या ‘आधार’ नहीं है। केन्द्र ने कहा कि यह समय विस्तार सिर्फ उनके लिए है जिनके पास आधार नंबर नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में ऐसी कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें कल्याणकारी योजनाओं के लिए आधार को अनिवार्य बनाए जाने तथा इसे मोबाइल नंबरों एवं बैंक खातों से लिंक करने संबंधी अधिसूचनाएं जारी किए जाने को चुनौती दी गई है।