जब नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, कि क्या महिला जजों से कहें कि वे शादी करना छोड़ दें?’

मध्य प्रदेश के बहुचर्चित व्यापमं घोटाले की सुनवाई के दौरान एक दिलचस्प वाक्या हुआ। दरअसल व्यापमं घोटाले के आरोपी डॉ. कृष्ण कुमार की जमानत अर्जी पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी। इस दौरान जब सीबीआई ने आरोपी की जमानत का विरोध किया तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि क्या इसका कसूर ये है कि यह एक महिला न्यायिक अधिकारी का पति है? क्या हम महिला जजों से कहें कि वह शादी करना छोड़ दें? बता दें कि आरोपी कृष्ण कुमार की पत्नी एक जज हैं।

सीबीआई ने भोपाल में दर्ज हुए व्यापमं घोटाले के एक मामले में 21 लोगों को हिरासत में लिया था। इन्हीं आरोपियों में डॉ. कृष्ण कुमार भी शामिल थे। फिलहाल गिरफ्तार किए गए 21 आरोपियों में से 20 को हाईकोर्ट यह कहकर जमानत दे चुका है कि मामले में ट्रायल शुरु होने काफी समय लगेगा। लेकिन सीबीआई डॉ. कृष्ण कुमार की रिहाई का विरोध करती रही है। जिसके बाद कृष्ण कुमार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। बता दें कि कृष्ण कुमार 23 फरवरी, 2018 से सीबीआई की हिरासत में हैं। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान जस्टिस गोगोई ने सीबीआई से पूछा कि इस केस में कितने आरोपी हैं? इस पर सीबीआई ने बताया कि इस मामले में 21 आरोपी हैं। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या बाकी आरोपियों को जमानत मिल चुकी है और किस आधार पर? इस पर सीबीआई ने बताया कि हाईकोर्ट ने इस आधार पर जमानत दी है कि ट्रायल शुरु होने में अभी काफी वक्त लगेगा।

इस पर अपनी नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि जब 20 आरोपियों को जमानत मिल चुकी है तो इसका क्या कसूर है? क्या इसका कसूर ये है कि इसकी पत्नी न्यायिक अधिकारी है? क्या हम महिला जजों को कहें कि वह शादी करना छोड़ दें? समानता के आधार पर आरोपी को भी जमानत पाने का अधिकार है। हालांकि सीबीआई ने यह कहकर जमानत का विरोध किया था कि यह गंभीर मामला है और आरोपी गवाहों को प्रभावित कर सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा कि जब 20 आरोपियों को जमानत मिल गई है, तो क्या 21वें आरोपी की जमानत का विरोध जायज है? इसके बाद कोर्ट ने आरोपी को 1 लाख रुपए के मुचलके पर सशर्त जमानत दे दी है।

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