प्रशांत भूषण ने सुप्रीम कोर्ट के लिए बताया काला दिन, कांग्रेस प्रवक्ता बोले- और सवाल उठेंगे
जस्टिस लोया की मौत की जांच पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर नाराजगी जताते हुए याचिकाकर्ता और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने इसे सुप्रीम कोर्ट के लिए काला दिन करार दिया। प्रशांत भूषण ने कहा कि हमने सिर्फ स्वतंत्र जांच की मांग की थी, लेकिन कोर्ट ने स्वतंत्र जांच की बजाय याचिकाकर्ताओं की मंशा पर ही सवाल खड़े कर दिए। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी कोर्ट के फैसले पर असहमति और नाराजगी जताई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पत्रकारों से बात करते हुए वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा, “ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत की स्वतंत्र जांच की मांग को ही ठुकरा दिया है।हमारा कहना था कि जस्टिस लोया की अचानक हुई मौत से कई सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में, कम से कम उनकी मौत की स्वतंत्र जांच तो करवाई ही जा सकती थी। मेरी राय में ये बहुत ही गलत फैसला हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के लिए ये बेहद काला दिन है।”
प्रशांत भूषण यहीं नहीं रुके। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिकाकर्ताओं पर ही संदेह जताया है। इस तथ्य की भी अनदेखी की गई कि जस्टिस लोया की मेडिकल हिस्ट्री में दिल की बीमारी का जिक्र नहीं है। सभी तथ्यों को दरकिनार करते हुए ये कहा गया कि संभव है कि याचिकाकर्ता राजनीतिक फायदे के लिए काम कर रहे हों। कम से कम स्वतंत्र जांच का आदेश तो सुप्रीम कोर्ट दे ही सकती थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोया की मौत के मामले में पर्दा डालने का काम किया है।”
Dispassionate analysis of Loya j’ment must await its full reasoning. But unless logical reasons found in it, it wl raise more questions & leave many unanswered. Sc can remove suspicious crl features only by dealing with them directly. Ipse Dixit nt enuff 4this case.
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) April 19, 2018
वहीं, सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने भी नाराजगी जताई है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा, “जस्टिस लोया की मौत की स्वतंत्र जांच के लिए अभी और इंतजार करना होगा। लेकिन इस मामले में तर्कपूर्ण कारणों की तलाश के बजाय सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने और ज्यादा सवाल खड़े कर दिए हैं और कई को अनसुलझा भी छोड़ दिया है। सुप्रीम कोर्ट संदेहास्पद तथ्यों और आरोपों को जांच से हटा सकता था और बाकी सवालों पर बहस हो सकती थी। लेकिन इस केस में पर्याप्त जांच नहीं की गई।”
am prepared 2accept a)heavy emphasis in sc Loya re veracity of accompanying judges b)anguish re scandalous args(c)initiation of contempt if it arises(d)provided it is accompanied by solid reasons rebutting the 7/8 suspicious circs raised. Absent that, above lamentations nt enuff.
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) April 19, 2018
अपने दूसरे ट्वीट में सिंघवी ने कहा,”मैं मानने के लिए तैयार हूं कि 1. कोर्ट को मौत के वक्त जस्टिस लोया के साथ मौजूद जजों पर भारी विश्वास है। 2. उन्हें विवाद को दोबारा उठाने वाली दलीलों से नाराजगी है। 3. अगर ऐसी बातें उठती हैं तो यह उनकी अवमानना है। 4. या फिर उन्हें 7-8 मजबूत तर्कों के साथ फिर से उठाया जाता। इसके अलावा इस पर दुखी होने का कोई कारण नहीं है।”