महिला पत्रकारों पर आपत्तिजनक टिप्पणी: बीजेपी नेता को सुप्रीम कोर्ट से राहत, नहीं होगी तत्काल गिरफ्तारी

भाजपा नेता एस.वी. शेखर को राहत देते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को तमिलनाडु पुलिस को शेखर के खिलाफ एक जून तक किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया। शेखर ने महिला पत्रकारों के खिलाफ कथित तौर पर सोशल मीडिया पर अपमानजनक टिप्पणी को लेकर अपने खिलाफ दर्ज किए गए आपराधिक मामले में अग्रिम जमानत की मांग करते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है। भाजपा नेता ने इस फेसबुक पोस्ट में कथित तौर पर मीडिया व महिला पत्रकारों के खिलाफ संकेतों में अपमानजनक टिप्पणी की थी।

यह फेसबुक पोस्ट तमिलनाडु के 78 साल के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा एक महिला पत्रकार के पूछे गए एक सवाल के जवाब से बचने के दौरान उसके गाल को थपथपाए जाने पर मचे हंगामे के बाद लिखी गई थी। न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर व न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने मंगलवार को नोटिस जारी करते हुए शेखर को तत्काल गिरफ्तारी से राहत दे दी।

शेखर ने पहले ही माफी मांग ली है और कथित पोस्ट को अप्रैल में डिलीट कर दिया। उन्होंने कहा है कि इस अपमानजनक पोस्ट को उनके दोस्त एस.थिरुमलाई ने महिला पत्रकारों की शुचिता पर सवाल उठाते हुए लिखा था और इसे शेखर के फेसबुक पेज पर अप्रैल में साझा किया। मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत की याचिक खारिज कर दी थी। उच्च न्यायालय ने पुलिस को निर्देश दिया कि वे एक सामान्य शिकायत की तरह इस मामले में भी कार्रवाई करें।

शेखर ने उच्च न्यायालय के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी है। पुलिस की साइबर क्राइम सेल ने भारतीय दंड संहिता व तमिलनाडु के महिला उत्पीड़न निषेध अधिनियम के तहत शेखर के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज किए हैं। उच्च न्यायालय ने शेखर के खिलाफ शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने पर पुलिस को फटकार लगाई थी और कहा था कि विभाग उनके खिलाफ शिकायत पर पक्षपातपूर्ण रवैया क्यों अपना रहा है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *