न्यायमूर्ति जोसेफ की वरिष्ठता के मुद्दे पर नही थम रहा विवाद, जजों ने प्रधान न्यायाधीश से मिल जताया विरोध
मीडीया रिपोर्ट के अनुसार न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के तौर पर नियुक्ति को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। नए विवाद की वजह न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में उत्तराखंड हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को वरिष्ठता क्रम में तीसरे स्थान पर रखा जाना है। सुप्रीम कोर्ट के जजों ने सोमवार को प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा से इस मुद्दे पर मुलाकात की और केंद्र के फैसले पर अपना विरोध जताया। उधर, इस मुद्दे की गूंज लोकसभा में भी सुनाई पड़ी। केंद्र ने हालांकि अपनी तरफ से कहा कि उसने पूरी तरह से समय की कसौटी पर खरे उतरे उच्च न्यायालय की वरिष्ठता सूची के सिद्धांत का पालन किया।
न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ समेत न्यायाधीशों ने कामकाज शुरू होने से पहले जजों के लाउंज में प्रधान न्यायाधीश से मुलाकात की। न्यायमूर्ति लोकुर और न्यायमूर्ति जोसेफ पांच न्यायाधीशों वाले शीर्ष न्यायालय के कॉलिजियम का हिस्सा हैं। प्रधान न्यायाधीश के बाद सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई मौजूद नहीं थे। वे सोमवार को छुट्टी पर हैं। प्रधान न्यायाधीश ने न्यायाधीशों को आश्वस्त किया कि वे न्यायमूर्ति गोगोई के साथ विचार-विमर्श करेंगे और इस मुद्दे को केंद्र के समक्ष उठाएंगे। प्रधान न्यायाधीश, न्यायमूर्ति गोगोई, न्यायमूर्ति लोकुर और न्यायमूर्ति जोसेफ के अतिरिक्त कॉलिजियम में न्यायमूर्ति एके सीकरी पांचवें सदस्य हैं।
बताया जा रहा है कि न्यायाधीशों का मत था कि इस मामले पर साथ बैठकर विचार करने की जरूरत है। अदालत के सूत्रों ने कहा कि फिलहाल ज्यादा कुछ नहीं किया जा सकता और कुछ न्यायाधीशों द्वारा व्यक्त चिंताओं पर मंगलवार को तीन न्यायाधीशों के शपथ ग्रहण के बाद चर्चा की जाएगी। अदालत के सूत्रों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलिजियम के सदस्य न्यायमूर्ति रंजन गोगोई को छोड़कर अन्य ने न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की वरिष्ठता कम करने के केंद्र के फैसले पर ‘अनौपचारिक’ चर्चा की। न्यायमूर्ति गोगोई छुट्टी पर हैं। हालांकि यह फैसला लिया गया कि शपथ ग्रहण समारोह होना चाहिए।
सोमवार सुबह कामकाज शुरू होने से पहले सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश लाउंज में न्यायाधीशों के बीच सुबह हुई चर्चा के बारे में अदालत के सूत्रों ने बताया कि न्यायाधीशों ने कहा, ‘शहथ ग्रहण होने दीजिए। अभी समय नहीं है। शपथ ग्रहण को टाला नहीं जा सकता। यह देखना होगा कि बाद में क्या किया जा सकता है।’ उन्होंने बताया कि कॉलिजियम के अध्यक्ष प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वे न्यायमूर्ति गोगोई से इस पर चर्चा करेंगे जो उनके बाद सबसे वरिष्ठ हैं और केंद्र के समक्ष यह मामला उठाएंगे। उधर, सरकार के सर्वोच्च सूत्रों ने रेखांकित किया कि कार्यपालिका ने न्यायमूर्ति जोसेफ का नाम न्यायमूर्ति बनर्जी और सरन से नीचे रखने के लिए ‘पूरी तरह हाई कोर्ट की वरिष्ठता सूची के जांचे परखे सिद्धांत का पालन किया’। यह भी कहा गया कि तीनों न्यायाधीशों में से कोई भी प्रधान न्यायाधीश नहीं बनेगा क्योंकि न्यायालय में दूसरे न्यायाधीश हैं जिन्हें सुप्रीम कोर्ट में पहले पदोन्नत किया गया और वे बाद में सेवानिवृत्त होंगे।
केंद्र सरकार ने बीते शुक्रवार को शीर्ष अदालत में तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए अधिसूचना जारी की थी। अधिसूचना में वरिष्ठता क्रम में न्यायमूर्ति जोसेफ को तीसरे स्थान पर रखा गया है। अधिसूचना में मद्रास हाई कोर्ट की मुख्य न्यायाधीश इंदिरा बनर्जी का नाम पहले स्थान पर था, जबकि ओड़ीशा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनीत सरन का नाम दूसरे स्थान पर था। सरकार की अधिसूचना में जिस क्रम में न्यायाधीशों के नाम होते हैं, उसी अनुसार न्यायाधीशों की वरिष्ठता का निर्धारण करने की परिपाटी है। राष्ट्रपति ने तीन अगस्त को तीन न्यायाधीशों की नियुक्ति के वारंट पर हस्ताक्षर किया था।
तीन नए न्यायाधीशों के शपथ लेने पर सुप्रीम कोर्ट में जजों की संख्या बढ़कर 25 हो जाएगी। हालांकि, शीर्ष अदालत में तब भी छह न्यायाधीशों के पद रिक्त होंगे। न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी के शपथ लेने के साथ ही शीर्ष अदालत में पहली बार तीन महिला जज होंगी। दो अन्य न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति इंदु मल्होत्रा शामिल हैं।