जब सरकारी वकील को सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ते हुए याद दिलाया की टेलीफोन इस्तेमाल करने हेतु 19वीं सदी में बनाया गया था

सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान वकीलों के रवैये को देखकर जज जस्ती चेलामेश्वर और जज मदन बी लोकुर भड़क उठे। हाल ही में जज चेलामेश्वर और जज मदन बी लोकूर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर चर्चा में आए थे। पिछले दो दिनों के मामलों को देखकर सुप्रीम कोर्ट को सरकारी अधिकारियों को समझाने के लिए मजबूर होना पड़ा कि विज्ञान ने इंसान को टेलिफोन और ईमेल नाम की दो बहुत ही जरूरी चीजें दी हैं। मंगलवार (6 फरवरी) को एक सुनवाई के दौरान जस्टिस जे चेलामेश्वर और संजय के कौल की एक बेंच ने टिप्पणी की, “19वीं सदी में ग्राहम बेल ने एक मशीन बनाई थी, 130 सालों में इस मशीन ने काफी विकास किया है, इसे टेलिफोन कहते हैं।” खंडपीठ ने यह टिप्पणी तब की जब एक सरकारी वकील एक केस के सिलसिले में दो सप्ताह गुजर जाने के बाद भी निर्देश लेने के लिए और वक्त मांग रहा था। दरअसल एक केस के सिलसिले में तपेश कुमार सिंह झारखंड हाई कोर्ट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उन्होंने अदालत से कहा कि उन्होंने इस केस में राज्य सरकार से व्यक्तिगत रूप से निर्देश लेना चाहा था, लेकिन ऐसा लगता है कि इसमें और वक्त की जरूरत है।

जस्टिस चेलामेश्वर ने इसके जवाब में कहा, “पिछली सुनवाई के दौरान हमनें राज्य सरकार को जवाब देने के लिए दो हफ्ते तक केस की सुनवाई टाल दी थी. आपको निर्देश लेने के लिए कितना और वक्त चाहिए, एक साल या दो साल ?” इसके बाद जस्टिस कौल ने कहा, “जिस उपकरण को टेलिफोन कहा जाता है उससे आपको कुछ सेकेंड में ही निर्देश मिल सकता है, आप बाहर जाइए, केस से जुड़े सचिव को फोन कीजिए, और कुछ ही मिनट के बाद हमें बता दीजिए, लेकिन अब भी आप वक्त मांग रहे हैं ताकि निर्देश खुद चलकर आपके पास आ जाए, हमें आश्चर्य है कि कहीं आप ये ना पूछने लगें कि टेलिफोन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है।”

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