गौरक्षकों की हिंसा पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, राज्यों को हर जिले में नोडल अफसर तैनात करने के निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने बुधवार को कहा कि गोरक्षकों की हरकतों (काउ विजिलांटिज्म) को रोकना होगा और यह कानून के तहत स्वीकार्य नहीं हैं। अदालत ने राज्यों को हर जिले में नोडल अधिकारी तैनात करने के निर्देश दिए जो इस तरह की हिंसा की घटनाओं को रोकने और इसे अंजाम देने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कदम उठाएं। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति अमिताव राय व न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर की पीठ ने कहा, “इसे रोकना होगा। आप ने क्या कार्रवाई की है। यह स्वीकार्य नहीं है। इस पर कार्रवाई करनी ही होगी।” अदालत की यह टिप्पणी वकील इंदिरा जयसिंह द्वारा अदालत का ध्यान देश भर में गोमांस के संदेह पर गोरक्षा समूहों द्वारा की जा रही हिंसा पर आकर्षित किए जाने के बाद आई है। नोडल अधिकारियों की नियुक्ति का निर्देश देते हुए अदालत ने राज्य के मुख्य सचिवों को राजमार्ग पर गश्त की तैनाती सहित, मामले में की गई कार्रवाई का हलफनामा दायर करने को कहा है। अदालत ने केंद्र से पूछा कि क्यों न उसे धारा 256 के तहत इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। अदालत का आदेश तुषार गांधी सहित याचिकाओं के एक समूह पर आया है। तुषार गांधी महात्मा गांधी के पोते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र की तरफ से गए तुषार मेहता ने कहा गौ रक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा के लिए कानून मौजूद हैं। इसपर चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि वह भी जानते हैं कि कानून मौजूद है पर फिर एक्शन क्यों नहीं लिया जा रहा? चीफ जस्टिस ने सलाह दी कि प्लान बनाया जा सकता है जिससे ऐसी घटनाएं ना बढ़ें।
पिछले कुछ वक्त से गौ रक्षा के नाम पर कई जगह हिंसा की घटनाएं हुई हैं। जिनमें पीटे गए कुछ लोगों की तो मौत भी हो गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी गौ रक्षकों को कानून हाथ में ना लेने की सलाह दे चुके हैं। ऐसे में कुछ संगठन तो मोदी के ही खिलाफ हो गए थे।