अगले सौ साल तक ताजमहल के संरक्षण पर रपट मांगी कोर्ट ने

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यकालीन विश्व प्रसिद्ध स्मारक ताजमहल का कम से कम अगले सौ साल तक संरक्षण करने के लिए शुक्रवार को प्राधिकारियों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी जिसमें महत्त्वपूर्ण विवरण शामिल हों। न्यायमूर्ति मदन बी लोकूर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की दो सदस्यीय पीठ ने ताज ट्रैपेजियम जोन प्राधिकरण द्वारा अपने हलफनामे में वर्णित उपायों को अस्थाई करार देते हुए कहा कि यह अंतिरम हैं। ऐतिहासिक विश्व धरोहर ताजमहल के संरक्षण के लिए कुछ दीर्घकालीन उपायों की जरूरत है।

ताज ट्रैपेजियम जोन करीब 10,400 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र है। जो उत्तर प्रदेश के आगरा, फीरोजाबाद, मथुरा, हाथरस और एटा व राजस्थान के भरतपुर तक फैला हुआ है। पीठ ने टिप्पणी की-आपने (अतिरिक्त सालिसीटर जनरल) जो पेश किए हैं वे अस्थाई उपाय हैं। हमें पूरे परिदृश्य का विहंगम दृष्टिकोण चाहिए। इस संबंध में सभी को एकसाथ बैठकर यह उपाय खोजने होंगे कि किस तरह से इस स्मारक को अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित किया जाए। इस मामले की सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने एक हलफनामा दाखिल किया जिसमें ताजमहल के संरक्षण और सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदमों का जिक्र था।

उन्होंने कहा कि इसमें इस स्मारक से पांच सौ मीटर के दायरे में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाना, ताज के पास सिर्फ सीएनजी वाहनों के परिचालन की अनुमति, जेनरेटर सेटों के उपयोग को हतोत्साहित करने के लिये बिजली की पर्याप्त आपूर्ति और कूड़ा कचरा जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध सहित अनेक उपाय शामिल हैं। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही पर्यावरणविद् अधिवक्ता महेश चंद्र मेहता की जनहित याचिका पर सुनवाई आठ हफ्ते के लिए स्थगित कर दी। अदालत ने ताजमहल की सुंदरता के संरक्षण के लिए विस्तृत नीति पेश नहीं करने के कारण 20 नवंबर को उत्तर प्रदेश सरकार को आड़े हाथ लिया था और कहा था- हमें सतत विकास की आवश्यकता है। अदालत ने 15 नवंबर को राज्य सरकार को ताज ट्रैपेजियम जोन और आसपास के इलाके में प्रदूषण की रोकथाम के बारे में राज्य सरकार को विस्तृत नीति पेश करने का निर्देश दिया था।

 

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