बहन की शादी में जब नहीं जा पाए थे सुशील मोदी, पुलिस ने पीटकर ठूंस दिया था जेल में

बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी आपातकाल की वजह से बहन की शादी में शरीक नहीं हो पाए थे। पुलिस ने तब उन्हें पीटकर जेल में ठूंस दिया था। मोदी ने इस वाकये को लेकर तत्कालीन राज्यपाल और बहन को चिट्ठी भी लिखी थी, जिस पर आज भी चर्चा की जाती है।

आपको बता दें कि मौजूदा उप मुख्यमंत्री, जेपी (जय प्रकाश नारायण) आंदोलन के दौरान अग्रणी सेनानियों में से थे। साल 1975 में उन दिनों मोदी की बहन की शादी का कार्यक्रम था। हालांकि, उन्हें तब पेरोल दिया गया था। मगर हजारीबाग के उपायुक्त ने पीटकर उन्हें दोबारा सलाखों के पीछे भेज दिया था। 22 जनवरी 1976 को बहन ऊषा को लिखी चिट्ठी में उसी घटना का जिक्र मिलता है।

चिट्ठी के अनुसार, तारीख थी तीन जुलाई। साल 1975। मीसा में उन्हें पकड़कर पहले दरभंगा, फिर हजारीबाग केंद्रीय कारागार में रखा गया। 15 फरवरी को 21 दिनों के लिए राज्य सरकार ने उन्हें पेरोल दिया। कारण- बहन की शादी थी। जेल से छूटने पर वहां की दिक्कतों को बताने के लिए वह उपायुक्त दुर्गा शंकर मुखोपाध्याय के पास पहुंचे।

मोदी ने तब उनसे बताया था, “जेल से पेरोल पर आया हूं। आप से एक मिनट बात करनी है।” वह बात पूरी भी नहीं कर पाए थे कि उपायुक्त ने उन्हें पीटना शुरू कर दिया। अचानक हमले से वह कुछ समझ न पाए थे। दरख्वास्त भी की कि कल बहन की शादी है। छोड़ दें। मगर वह न माने। मुक्के मारने के बाद वह मोदी को बगल के बंगले ले पहुंचे।

बिहार के मौजूदा डिप्टी सीएम की हालत तब अधमरे जैसे हो गई थी। होश आने पर उन्होंने अपने पास पुलिस को पाया। पता लगा कि उपायुक्त के किसी सहायक कर्मी के नाम से उनके खिलाफ झूठी प्राथमिकी दर्ज करा दी गई। ऐसे में उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया था।

चिट्ठी में मोदी ने शादी में न जाने का मलाल भी जताया। उन्होंने आगे लिखा था, “शाम के सात बजे हैं। तुम्हारा जीवन साथी आ चुका होगा। शहनाई बज रही होगी। परिजन और मित्रों से घर भरा होगा। तुम कल अपने नए घर चली जाओगी। ऐसी खुशी भरे पल पर तुम्हारा भाई सहयोगी न बन पाया।”

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