योगी सरकार ने पर्यटन सूची से ताजमहल को हटाया, गंगा आरती को बनाया नंबर वन, गोरखधाम मंदिर को भी जगह
दुनिया के सात अजूबों में शुमार भारत की धरोहर ताजमहल को उत्तर प्रदेश सरकार ने अपनी टूरिस्ट गंतव्यों की सूची से हटा दिया है। टाइम्स नाउ और सीएनएन की खबर के अनुसार सरकार ने यूपी की नई ‘टूरिस्ट डेस्टिनेशन’ लिस्ट जारी की है, जिसमें ताजमहल को शामिल नहीं किया गया। यूपी सरकार द्वारा जो नई बुकलेट जारी की गई है उसमें टूरिस्टों के लिए ताजमहल का नाम शामिल नहीं किया गया। सरकार की तरफ से अभी तक इस मुद्दे पर आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है। इस बार लिस्ट में गोरखधाम मंदिर को जगह दी गई है। गोरखपुर के देवी पटन शक्ति पीठ को भी स्थान दिया गया है। दो पेज सिर्फ गोरखधाम मंदिर को दिए गए हैं। इसमें गोरखधाम मंदिर का फोटो, उसका इतिहास और उसका महत्तव लिखा है। इस बार की बुकलेट का पहला पेज वाराणसी की गंगा आरती को समर्पित किया गया है। गंगा आरती के भव्य दृश्य के साथ दूसरे पेज में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी की तस्वीर है। इस तस्वीर के साथ बुकलेट का उद्देश्य लिखा है। उसके आगे पर्यटन विकास योजनाओं के बारे में दिया गया है। पहले पेज के साथ ही छठवां और सातवां पेज भी गंगा आरती को समर्पित किया गया है।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश की योगी आदित्य नाथ सरकार ने इससे पहले ताजमहल को यूपी की सांस्कृतिक विरासत वाली लिस्ट में भी शामिल नहीं किया था। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार योगी आदित्य नाथ सरकार ने अपने पहले बजट 2017-18 में ताजमहल को हमारी सांस्कृतिक विरासत वाली लिस्ट में भी शामिल नहीं किया था। हाल के दिनों में सीएम योगी ताजमहल को भारतीय संस्कृति का हिस्सा मानने से इंकार कर चुके हैं। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने बिहार की दरभंगा रैली में कहा था कि ताजमहल एक इमारत के सिवा और कुछ नहीं है। उन्होंने कहा कि जब देश के प्रमुख का कभी विदेश जाता तो वो ऐसी चीजें साथ ले जाता था जो भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व करती थी। इसी तरह जब अन्य देशों के प्रतिनिधि भारत आते थे तब उन्हें ताजमहल या किसी मीनार की प्रकृति दी जाती थी। जबकि ये चीजें भारतीय संस्कृति का प्रतिनिधित्व नहीं करती थी। इस दौरान उन्होंने कहा था, ‘इसमें पहली बार बदलाव हमने तब देखा जब भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत सरकार के प्रतिनिधि के रूप में विदेश गए। उन्होंने अन्य राज्यों के प्रमुख को गीता और रामायण दीं।’