दिल्ली में भीड़ वाले रास्तों से गुजरने पर टैक्स लगाने का हो रहा विचार

दिल्ली की सड़कों पर भीड़ लगाना आने वाले वक्त में महंगा पड़ सकता है। सड़कों को जाम मुक्त बनाने के लिए सरकार चुनिंदा अतिव्यस्त मार्गों पर कंजेशन (भीड़भाड़) शुल्क लगाएगी। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने आवास व शहरी विकास राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी की मौजूदगी में सोमवार को संवाददाताओं को बताया कि पहली बार दिल्ली में पार्किंग नीति बनाई जा रही है। इसके तहत पार्किंग की कमी के कारण सड़कों पर वाहन खड़े होने से यातायात बाधित होने की समस्या के समाधान के लिए पार्किंग नीति में विस्तृत प्रावधान होंगे। बैजल ने बताया कि पार्किंग नीति की मदद से दिल्ली के सभी इलाकों को पार्किंग सुविधा से लैस करने की पहल से इतर भीड़भाड़ वाले ऐसे मार्गों पर वाहन से जाने पर शुल्क वसूलने के विकल्प पर भी विचार किया जा रहा है, जहां पार्किंग की सुविधा देना मुमकिन नहीं होगा।

बैजल ने कंजेशन शुल्क को पार्किंग नीति से फिलहाल अलग रखते हुए स्पष्ट किया कि विभिन्न देशों में अत्यधिक भीड़भाड़ वाली सड़कों पर यातायात सुगम बनाने के लिए वाहनों के प्रवेश पर ‘कंजेशन लेवी’ नामक शुल्क लगाया जाता है, इसी तर्ज पर दिल्ली में भी ऐसा ही शुल्क लगाने पर विचार किया जा रहा है। इस पर विशेषज्ञों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तय किया जाएगा कि किस सड़क पर कितने समय के लिए वाहन से जाने पर शुल्क देना होगा। दिल्ली की पहली पार्किंग नीति के बारे में बैजल ने कहा कि पार्किंग के संचालन नियमों के अलावा शुल्क आदि का प्रावधान इस नीति में किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘इस नीति के प्रारूप का मसविदा जनता के सुझाव और आपत्तियों के लिए सार्वजनिक किया जा चुका है, इस पर सुझाव भी मिल गए हैं, अब किसी भी दिन पार्किंग नीति लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी।’

इससे पहले पुरी ने बताया कि दिल्ली में जारी सीलिंग की समस्या से निपटने के लिए मंत्रालय द्वारा सुझाए गए उपायों से जुड़ा हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में पेश कर दिया गया है। हलफनामे में मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को दिल्ली के मास्टर प्लान 2021 में दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा प्रस्तावित संशोधनों को ही सीलिंग की समस्या का एकमात्र उपाय बताया है। दिल्ली के तमाम आवासीय इलाकों में मास्टर प्लान का उल्लंघन कर आवासीय संपत्तियों के व्यावसायिक इस्तेमाल को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में तीनों नगर निगमों द्वारा सीलिंग की कार्रवाई की जा रही है। पुरी ने स्पष्ट किया कि सीलिंग सिर्फ उन स्थानों पर हो रही है जहां मास्टर प्लान का उल्लंघन कर अनधिकृत निर्माण किया गया है या पर्यावरण मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सीलिंग के दौरान हिंसा की घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि सरकार ने व्यापारियों के हितों का ध्यान रखते हुए ही मास्टर प्लान में संशोधन की पहल की है। पुरी ने इस समस्या के लिए पूर्ववर्ती सरकारों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि पिछली सरकारों ने मास्टर प्लान के उल्लंघन पर आंखें मूंदें रखीं, जिसके कारण यह समस्या पैदा हुई है। सीलिंग के लिए अध्यादेश लाने की केजरीवाल सरकार की मांग के सवाल पर पुरी ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री को यह जानकारी ही नहीं है कि संसद का सत्र जब चल रहा हो तब अध्यादेश नहीं लाया जा सकता है।

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