उत्तराखंड के इस मंदिर में साक्षात प्रकट हुई थी मां दुर्गा, शक्तियां देख वैज्ञानिक भी हैं हैरान

उत्तराखंड को देवों की भूमि कहा जाता है, इसके पीछे किसी बात का शक नहीं किया जा सकता है। देश के अधिकतम तीर्थ स्थान उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर मौजूद हैं। यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु तीर्थ स्थानों पर आते हैं। आज उत्तराखंड के ऐसे एक मंदिर के बारे में जानते हैं जिसकी अनोखी शक्तियों पर नासा के वैज्ञानिक भी हैरान हैं। उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कसारदेवी का मंदिर है, जिसकी स्थापना दूसरी सदी में मानी जाती है। ऐसी मान्यता है कि यहां मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थीं। इस जगह के लिए खास बात ये है कि ये भारत की एकमात्र और दुनिया की तीसरी जगह है जहां पर चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं। नासा के वैज्ञानिक यहां शौध कर चुके हैं।

इस मंदिर के लिए ये भी मान्यताएं प्रचलित हैं कि यहां आने वाले भक्त इस मंदिर तक पहुंचने वाली सैकडों सीढियों पर बिना किसी थकान के चढ़ जाते हैं। इस मंदिर के लिए मान्यता है कि ढाई हजार वर्ष पहले मां दुर्गा ने शुंभ और निशुंभ नामक दो राक्षसों को मारने के लिए कात्यायनी रुप में अवतार लिया था। इसके बाद से इस स्थान की मान्यता मां कासरी देवी मंदिर के रुप में मानी जाती है। कसार देवी का मंदिर अल्मोड़ा शहर से करीब दस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। ये मंदिर कसाय पर्वत पर स्थित है। पर्यावरण की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार इस मंदिर के आसपास का क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। इसलिए यहां चुम्बकीय शक्तियां मौजूद हैं जो ध्यान और तप के लिए उत्तम जगह होती है। इस जगह स्वामी विवेकानंद ने भी ध्यान किया था और ज्ञान की प्राप्ति की थी।

कसार देवी मंदिर के आस-पास का पूरा क्षेत्र हिमालयी के वन और अद्भुत नजारे से घिरा हुआ है। बड़ी संख्या में देशी पर्यटकों के अलावा विदेशी पर्यटक भी यहां आते हैं। बिनसर और आस-पास तमाम विदेशी पर्यटक रोजाना भ्रमण करते दिखाई भी पड़ते हैं। कुछ लोग बताते हैं कि बड़ी संख्या में विदेशी साधकों ने अस्थाई ठिकाना भी यहां बना लिया है। नासा के वैज्ञानिकों के अनुसार उत्तराखंड में अल्मोड़ा स्थित कसार देवी शक्तिपीठ, दक्षिण अमेरिका के पेरू स्थित माचू-पिच्चू और इंग्लैंड के स्टोन हेंग अदभुत चुंबकीय शक्ति के केंद्र हैं। इन तीनों जगहों पर चुंबकीय शक्ति का विशेष पुंज है। नासा के वैज्ञानिक चुम्बकीय रूप से इन तीनों जगहों के चार्ज होने के कारणों और प्रभावों पर शोध कर रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *