महाराष्ट्र के इस गांव ने जीता था शांति के लिए अवॉर्ड, आज यहाँ है ‘लव अफेयर’ पर काफ़ी तनाव

महाराष्ट्र के लातूर जिले स्थित रूद्रवाड़ी गांव में तनाव का माहौल है। 700 से ज्यादा आबादी वाले इस गांव में मराठा और दलित समुदाय के बीच उपजे इस तनाव की वजह एक कथित लव अफेयर है। दिलचस्प बात यह है कि पूर्व में इस गांव को ‘टंटामुक्त’ (विवादों से दूर) रहने के लिए अवॉर्ड मिल चुके हैं। फिलहाल हालात यह हैं कि गांव के ग्राम पंचायत दफ्तर के बाहर हर वक्त 4 पुलिस कॉन्स्टेबल्स तैनात रहते हैं। हर 2 घंटे पर पुलिस की गाड़ी भी यहां से गुजरती है। पुलिस की एफआईआर के मुताबिक, विवाद की वजह एक दलित लड़के ओर मराठा लड़की के बीच ‘लव अफेयर का शक’ है। इसमें लिखा है कि इस साल 9 मार्च को मराठा समुदाय के 20 से ज्यादा लोगों ने लड़के पर हमला किया। आरोप है कि इन लोगों ने उन्हें भी पीटा जो लड़के को बचाने के लिए गए।

दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले ग्राम सरपंच शालूभाई शिंदे के बेटे नितिन ने कहा, ‘लव अफेयर के शक में लड़के पर हमले के बाद हम पर कई और हमले हुए। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई लेकिन उस वक्त किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई। हमले के दो दिन बाद उनमें से कुछ लोग हमारे घरों में जबरन घुस आए और हमारी लाठियों से हमारी बुरी तरह पिटाई की। उसी वक्त हमारे समुदाय की एक लड़की की शादी हो रही थी। हमारे कुछ लोग दूल्हा-दुल्हन के साथ उस मंदिर में गए थे, जो मराठों के इलाके में है। हम मंदिर में कभी दाखिल नहीं हुए हैं। हमें बाहर सीढ़ियों से प्रार्थना करने की इजाजत है। हालांकि, उस दिन हमें मंदिर के नजदीक जाने से भी रोका गया और हम पर हमला हुआ।’ वहीं, समुदाय के एक अन्य शख्स ने आरोप लगाया कि डर के मारे कुछ दलित परिवार पलायन कर गए। उन्हें दोबारा से गांव में बसाए जाने की मांग भी की।

पुलिस ने इस मामले में 22 लोगों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार लोगों में अधिकतर अब जमानत पर हैं। पुलिस के मुताबिक, शिकायतकर्ताओं ने सामाजिक बहिष्कार किए जाने की शिकायत दर्ज कराई थी, इसलिए संबंधित धाराओं को भी मुकदमे में शामिल किया गया। उधर, मराठा समुदाय के लोगों ने इस घटना को लेकर अलग कहानी बयां की है। हमले में आरोपियों में से एक दत्तात्रेय अतोलकर ने कहा, ‘हम जानते हैं कि प्रेम प्रसंग को लेकर कुछ विवाद था। हालांकि, यह कुछ लोगों के बीच लड़ाई का मामला है। दूसरे पक्ष के लोग फिजूल में कुछ लोगों का नाम लेकर पूरे समुदाय पर दोष मढ़ रहे हैं। मैं 79 साल का हूं। मेरे घुटने में दर्द रहता है। मैं ऐसे छोटे-मोटे मामले के लिए क्यों लड़ने जाऊंगा? ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिनका इस विवाद से कोई लेनादेना नहीं, लेकिन उनका नाम गलत ढंग से एफआईआर में शामिल किया गया। मैंने पुलिस कस्टडी में चार दिन बताए हैं। काफी दिनों बाद उनकी ओर से लगाया गया सामाजिक बहिष्कार का आरोप हास्यास्पद है। उनके परिवार की दो आटा चक्कियां और दुकान हैं। उनका आरोप कि हमने उन्हें दुकानों तक जाने से रोका, आधारहीन है।’ अतोलकर के मुताबिक, फिर से बसाए जाने पर मिलने वाले घरों के लालच और कुछ स्थानीय नेताओं के उकसाने पर बहिष्कार के आरोप लगाए गए हैं

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