आतंकियों की गिरफ्तारी: सागारिका घोष को आशंका, कांग्रेस को फंसाने की साजिश, टि्वटर यूजर्स ने सुनाई खरी-खोटी

गुजरात आतंक निरोधक दस्ता (एटीएस) ने दो दिन पहले दो संदिग्ध आईएसआईएस सदस्यों को गिरफ्तार किया था। प्राथमिकी के मुताबिक उनमें से एक आरोपी कासिम स्टिम्बरवाला पूर्व में भरूच जिले के अंकलेश्वर में स्थित सरदार पटेल अस्पताल में एक तकनीशियन के तौर पर काम करता था। जिसके बाद गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कांग्रेस नेता अहमद पटेल से राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देने की मांग करते हुए आरोप लगाया था कि एक संदिग्ध आतंकी उस अस्पताल में काम करता था, जहां पटेल पहले एक ट्रस्टी थे। मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया, ‘‘यह एक गंभीर मुद्दा है क्योंकि एक आतंकी को उस अस्पताल से गिरफ्तार किया गया, जिसका संचालन पटेल कर रहे हैं। यह अब पता चला है कि हालांकि पटेल ने उस अस्पताल के ट्रस्टी के पद से 2014 में इस्तीफा दे दिया था लेकिन अब भी वह अस्पताल मामलों के प्रमुख हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘सोचिए क्या होता अगर ये दोनों आतंकी गिरफ्तार नहीं होते…. पटेल, राहुल गांधी और कांग्रेस को मुद्दे पर पाक साफ होना चाहिए। हम यह भी चाहते हैं कि पटेल राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा दें।’’ इसी रिपोर्ट को शेयर करते समय वरिष्‍ठ पत्रकार सागरिका घोष ने इसे ”कांग्रेस को एक ‘मुस्लिमों की पार्टी’ बताने की पुरानी रणनीति” बता दिया। जिसके बाद यूजर्स ने घोष को ट्रोल करना शुरू कर दिया।

एक शख्‍स ने कहा कि ‘आपकी कांग्रेस को डिफेंड करने की पुरानी रणनीति रही है।’ अजय सिंह नाम के शख्‍स ने लिखा, ‘जैसे को तैसा… बीजेपी को ‘एंटी दलित, एंटी मुस्लिम वगैरह बताना पुरानी रणनीति थी…अब क्‍यों दर्द हो रहा है?’ एक अन्‍य यूजर ने कहा कि ‘बहुत से पत्रकार भाजपा को गौरक्षकों की पार्टी बताते हैं।’ रणबीर ने लिखा, ‘मुस्लिमों और दलितों के साथ हर घटना को बीजेपी से जोड़ने की कांग्रेस की रणनीति उल्‍टा पड़ गई। आपका दर्द समझ सकते हैं।’

आपको बता दें कि अहमद पटेल ने खुद पर लगे आरोप को ”पूरी तरह बेबुनियाद” बताकर खारिज कर दिया। पटेल ने ट्वीट किया, ”मेरी पार्टी और मैंने दो आतंकवादियों को पकड़ने की एटीएस की कोशिश की सराहना की है। मैं उनके खिलाफ सख्त और तीव्र कार्रवाई की मांग करता हूं। भाजपा द्वारा लगाए गए आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद हैं।” उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ”हम अनुरोध करते हैं कि चुनाव को देखते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के विषयों को राजनीतिक रंग नहीं दिया जाए। आतंकवाद का मुकाबला करने के दौरान शांति प्रिय गुजरातियों को नहीं बांटिए।”

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