गोण्डा में केसीसी खातों में खपाया गया करोड़ो का कालाधन, फसल ऋण मोचन योजना के लाभ से वंचित हो गए डेढ़ हजार किसान

बैंक अधिकारियों की धोखाधड़ी है अथवा तकनीकी गलती, यह तो जांच के बाद पता चलेगा किन्तु इतना अवश्य है कि सर्व यूपी ग्रामीण बैंक की एक शाखा के 1500 से अधिक किसान उत्तर प्रदेश सरकार की किसान ऋण मोचन योजना का लाभ पाने से वंचित हो गए हैं। आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने धन कुबेरों का कालाधन सफेद करने के लिए करोड़ों रुपए किसानों के खातों में जमा कर दिया और फिर उसी दिन उनके खातों से रकम वापस कर ली गई। किसान सामूहिक रूप से धरना प्रदर्शन करके न्याय की गुहार लगा रहे हैं किन्तु फिलहाल उन्हें कहीं से राहत मिलती नहीं दिख रही है। बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक आशुतोष अरोड़ा का कहना है कि किसानों के साथ कोई धोखाधड़ी नहीं हुई है। उन्हें न्याय मिलेगा परन्तु थोड़ा समय लग सकता है।

मामला सर्व यूपी ग्रामीण बैंक की शाखा उमरी बेगमगंज का है। क्षेत्र के करीब 2000 किसानों ने किसान क्रेडिट कार्ड के जरिए ऋण लिया था। बीते विधानसभा चुनाव के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने अपने संकल्प पत्र में तय किया था कि राज्य में पार्टी की सरकार बनने पर किसानों का एक लाख रुपए तक का कृषि ऋण माफ किया जाएगा। सरकार बनने के बाद मंत्रिमण्डल की पहली बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कृषक ऋण मोचक योजना को मंजूरी दे दी। इसमें तय किया गया कि 31 मार्च 2016 से पहले फसली ऋण लेने वाले और इस तिथि के बाद अपने खाते में एक पैसा भी न जमा कर पाने वाले लघु एवं सीमान्त किसानों का एक लाख रुपए तक का ऋण माफ किया जाएगा। नियत तिथि के बाद अपने खाते से किसी प्रकार का लेनदेन न करने वाले कृषक प्रसन्न थे कि सरकार की इस योजना का लाभ उन्हें भी मिलेगा किन्तु उत्तर प्रदेश के 75 जिलों में सर्वाधिक 125695 किसानों को लाभ दिलाने वाले गोण्डा जिले के करीब 1600 किसानांे के पैर के नीचे जमीन उस समय खिसक गई जब उन्हें पता चला कि नोटबंदी के दौरान उनके खातों से लेनदेन किया गया है। बैंक अभिलेखों के अनुसार, 31 दिसंबर 2016 को 1582 किसानों के ऋण खातों में करीब 14 करोड़ रुपए जमा हो गए और उसी दिन सारा पैसा वापस भी हो गया। बैंक अधिकारियों का कहना है कि ऐसा तकनीकी गड़बड़ी के कारण हुआ है। थोड़़ा समय लगेगा किन्तु इसे ठीक कर लिया जाएगा।

इसके उलट किसानों का आरोप है कि उनके साथ जानबूझकर ठगी की गई है। जफरापुर के रसाधर सिंह व मुकुंदपुर के राजेश सिंह का कहना है कि बैंक कर्मियों द्वारा कमीशन लेकर काले धन को सफेद किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि करीब 28 करोड़ रुपये कालेधन को सफेद किया गया है। अब सेवानिवृत्त हो चुके तत्कालीन शाखा प्रबंधक आरएन रस्तोगी ने काला धन को सफेद करने के लिए करोड़ों रुपए उनके खाते में जमा कर दिया और फिर उसी दिन यह पैसा निकालकर सम्बंधित व्यक्तियों को दे दिया गया। जबकि वर्तमान शाखा प्रबंधक अभय सिंह ग्राहकों के इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि ऐसा करके कोई भी बैंक अधिकारी अपना भविष्य खराब नहीं करेगा।

यह सिर्फ और सिर्फ तकनीकी गड़बड़ी का नतीजा है। बैंक के क्षेत्रीय प्रबंधक आशुतोष चोपड़ा का कहना है कि उमरी बेगमगंज का प्रकरण काफी पुराना है और जिला प्रशासन के संज्ञान में है। जिलाधिकारी जेबी सिंह ने इस गलती को सुधारने के लिए शासन का पत्र लिख रखा है किन्तु इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। इससे किसान परेशान हैं और आन्दोलन पर उतारू हैं। उन्होंने कहा कि समस्या का समाधान पाने के लिए सभी किसानों को ऋण मोचन योजना के पोर्टल पर जाकर आनलाइन शिकायत दर्ज करानी होगी किन्तु किसान ऐसा न करके धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। कर्जमाफी के लाभ से वंचित सैकड़ों किसानों ने आज बैंक पर हंगामा किया। हंगामे की सूचना पाकर मौके पर पहुंचे क्षेत्रीय विधायक प्रेम नारायण पाण्डेय व क्षेत्रीय उपजिलाधिकारी उमेश कुमार उपाध्याय ने किसानों को समझाकर शांत कराया। प्रकरण की जांच के लिए बैंक मुख्यालय ने मेरठ से वरिष्ठ प्रबंधक अनुराग श्रीवास्तव को गोण्डा भेजा है।

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