मुंबई: अस्पताल में बच्चे को दूध पिला रही महिला को दबोच लिया, फिर फाड़ने लगा कपड़े
“पीलिया से जूझती नवजात बच्ची को मैं स्तनपान करा रही थी। तभी वार्ड में एक शख्स घुसा, जो डॉक्टर की सफेद कोट और चेहरे पर मास्क पहने था। जब तक मैं कुछ समझ पाती, वह मेरे नजदीक आ पहुंचा। उसने मुझे दबोच लिया। मैं धक्के मारकर उसकी पकड़ से बाहर आने की कोशिश करने लगी। इस पर उसने मेरे कपड़े तार-तार कर दिए। पकड़ ढीली होते ही मैं बदहवाश होकर वार्ड से बाहर भागी।” कुछ इन्हीं लफ्जों में अपना दर्द पुलिस से बयां किया है 25 साल की रीतू (बदला हुआ नाम) ने।
रीतू अपनी बच्ची को लेकर मुंबई के कोलाबा सिविल अस्पताल में भर्ती थीं। सात दिसंबर को प्रसव पीड़ा हुई तो वह इस अस्पताल में एडमिट हुईं। वहां उन्होंने बच्ची को जन्म दिया। छेड़छाड़ की घटना 11 दिसंबर, शाम पांच बजे की है। उस समय रीतू के साथ डॉक्टर की कोट पहने एक शख्स ने जबरदस्ती करने की कोशिश की। रीतू किसी तरह बच निकलने में कामयाब रहीं, लेकिन वह उस हादसे से अभी तक उबर नहीं सकी हैं। उनका कहना है कि घटना से उन्हें गहरा आघात पहुंचा है।
वहीं, रीतू की शिकायत के बाद पुलिस ने आरोपी की तलाश शुरू कर दी है। इलाके के इंस्पेक्टर शेखर ने कहा, “हॉस्पिटल स्टाफ की परेड कराई गई, मगर पीड़िता आरोपी को पहचान नहीं पाई। हम हॉस्पिटल की सीसीटीवी फुटेज चेक कर रहे हैं, ताकि पता चल सके कि आरोपी हाॅस्पिटल का स्टाफ है या कोई बाहरी।”
ऐसे में यह कहा जा सकता है कि हमने महिलाओं के लिए सेफ जगह कहीं नहीं छोड़ी है। घर हो या बाहर, सड़क हो या बस, ट्रेन हो या कैब… महिलाएं कहीं खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं। हॉस्पिटल में हुई यह घटना बताती है कि अब अस्पताल भी महिलाओं के लिए सुरक्षित नहीं रहे। यह कोई पहला ऐसा मामला नहीं है। अतीत में भी इस तरह की कई घटनाएं हो चुकी हैं, जब महिला मरीजों ने यौन उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज कराई हैं। यह कहना उचित है कि जब अस्पताल में भूखे बच्चे को स्तनपान कराती महिला को भी लोग नहीं बख्श रहे तो समझिए कि हमने महिलाओं के लिए इस दुनिया में कोई सुरक्षित जगह नहीं छोड़ी।