खिलाड़ियों के गोद में बैठना, शरीर के हर हिस्से की जांच, ये हैं चीयरलीडर्स की जिंदगी के कड़वे सच

नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) का खुमार ही कुछ अलग है। दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल के इस टूर्नामेंट में जब 32 टीमें टकराती हैं तो उसका जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोलता है। साथ ही चीयरलीडर्स का निराला अंदाज लोगों में और जोश भर देता है। लेकिन बाहर से यह दुनिया जितनी रंगीन और खूबसूरत नजर आती है, अंदर से वैसी नहीं है। चीयरलीडर्स को मैदान पर अपनी टीम को चीयर करते तो आपने खूब देखा होगा, लेकिन उसके पीछे छिपा दर्द आप शायद ही जानते हों। आज हम आपको एनएफएल की चीयरलीडर्स की कुछ आपबीती बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे।

 

अगर आप सोचते हैं कि एनएफएल चीयरलीडर्स को बहुत पैसा मिलता है तो एेसा नहीं है। तम्पा बे बुकानीर्स की पूर्व चीयरलीडर का कहना है कि एक मैच के लिए उन्हें सिर्फ 100 डॉलर ही मिलते थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रैक्टिस और अन्य टीम समारोह के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाता था।

 

जो टीमें प्रैक्टिस का पैसा नहीं देती, उनमें बेन-गल्स रायडेरेटीज, फ्लाइट क्रू और बुकानीर्स चीयरलीडर्स शामिल हैं। चीयरगर्ल्स को हर हफ्ते 6 से 15 घंटे प्रैक्टिस करनी पड़ती है और इसका कोई पैसा नहीं मिलता।

 

  • गोल्फ की गाड़ी में कुछ ही सीटें होती हैं। एलिसा यू के मुताबिक कई बार इसमें चार मर्द बैठे होते थे। इसलिए चीयरलीडर्स को उनकी गोद में बैठकर उनके साथ जाना होता था। यह यकीनन किसी भी महिला के लिए आपत्तिजनक होगा।
  • नेशनल फुटबॉल लीग (एनएफएल) का खुमार ही कुछ अलग है। दुनिया के सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल के इस टूर्नामेंट में जब 32 टीमें टकराती हैं तो उसका जादू दर्शकों के सिर चढ़कर बोलता है। साथ ही चीयरलीडर्स का निराला अंदाज लोगों में और जोश भर देता है। लेकिन बाहर से यह दुनिया जितनी रंगीन और खूबसूरत नजर आती है, अंदर से वैसी नहीं है। चीयरलीडर्स को मैदान पर अपनी टीम को चीयर करते तो आपने खूब देखा होगा, लेकिन उसके पीछे छिपा दर्द आप शायद ही जानते हों। आज हम आपको एनएफएल की चीयरलीडर्स की कुछ आपबीती बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आप दंग रह जाएंगे।
  • अगर आप सोचते हैं कि एनएफएल चीयरलीडर्स को बहुत पैसा मिलता है तो एेसा नहीं है। तम्पा बे बुकानीर्स की पूर्व चीयरलीडर का कहना है कि एक मैच के लिए उन्हें सिर्फ 100 डॉलर ही मिलते थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि प्रैक्टिस और अन्य टीम समारोह के लिए कोई पैसा नहीं दिया जाता था।
  • जो टीमें प्रैक्टिस का पैसा नहीं देती, उनमें बेन-गल्स रायडेरेटीज, फ्लाइट क्रू और बुकानीर्स चीयरलीडर्स शामिल हैं। चीयरगर्ल्स को हर हफ्ते 6 से 15 घंटे प्रैक्टिस करनी पड़ती है और इसका कोई पैसा नहीं मिलता।
  • Advertisementएनएफएल चीयरलीडर का कॉम्पिटिशन बहुत मुश्किल होता है, लेकिन टीनिसी टाइटन्स की चीयरलीडर इवोनी थॉम्पसन का मानना है कि यह फुल टाइम जॉब नहीं है। एक फुल टाइम जॉब 40 घंटे की होती है। लेकिन चीयरलीडर्स के साथ एेसा नहीं होता। उन्हें तीन दिन प्रैक्टिस करनी पड़ती है, गेम के दिन परफॉर्म करना होता है और कॉरपोरेट और चैरिटी इवेंट में भी जाना पड़ता है।

गोल्फ की गाड़ी में कुछ ही सीटें होती हैं। एलिसा यू के मुताबिक कई बार इसमें चार मर्द बैठे होते थे। इसलिए चीयरलीडर्स को उनकी गोद में बैठकर उनके साथ जाना होता था। यह यकीनन किसी भी महिला के लिए आपत्तिजनक होगा।

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