आज के दौर में जहां कई ऐसे बेटों की खबरें सुनने को मिलती हैं जो अपने माता-पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़ देते हैं तो वहीं कई अपनी अलग दुनिया बसाकर मां की ममता और पिता का दुलार भूल जाते हैं। ऐसे बेटों के बीच आज की दुनिया में श्रवण कुमार जैसे बेटे भी हैं जो उनके लिए मिसाल हैं जिनके लिए उनके मां-बाप बोझिल बन जाते हैं। जी हां, यहां हम बात कर रहे हैं हरियाणा के पलवल के रहने वाले उन 4 बेटों के बारे में जिन्होंने अपने कंधों पर कांवड़ बनाकर मां-बाप को तीर्थ यात्रा कराई। श्रवण कुमार की पौराणिक कथा के बारे में तो आप सभी जानते ही हैं जिन्होंने अपने नेत्रहीन दिव्यांग मां-बाप को यात्रा कराने के लिए कांवड़ बनाकर तीर्थ की यात्रा पर निकले थे। ठीक इसी तरह हरियाणा के इन चार बेटों ने भी अपने पेरेंट्स को एक साथ दो राज्य की मशहूर यात्राएं कराईं। (All Photos- ANI Digital/PTI)
जब हरियाणा के पलवल से कांवड़ यात्रा निकली, जिसमें क्षेत्र के तमाम लोग शामिल हुए। उसी में पलवल के गांव फुलवारी से बंसीलाल, राजू, महेंद्र व जगपाल चारों भाई माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर निकले थे।
चारों भाइयों ने कांवड़ में बिठाकर कंधों के बल हरिद्वार की ऊंची पहाड़ी नीलकंठ से पंजाब की मंशा देवी की यात्रा कराई। माता-पिता ने बताया उन दोनों को इस यात्रा में किसी तरह की परेशानी नहीं हुई। अब वह अपने गांव वापस आ चुके हैं। कांवड़ पर उनके माता-पिता की याात्रा मंगलमय रही। (Photo-ANI)
पौराणिक कथा के श्रवण कुमार द्वारा कांवड़ पर कराई गई पेरेंट्स की यात्रा पूरी नहीं पो पाई थी और बीच में भी श्रवण को राजा दशरथ का तीर लग गया था और उसी समय श्रवण सहित उनके पेरेंट्स ने भी दम तोड़ दिया था। लेकिन इन चारों भाइयों की यात्रा सफल रही। (Photo-ANI)
दिलचस्प ये है कि पौराणिक कथा के श्रवण कुमार द्वारा कांवड़ पर कराई गई पेरेंट्स की यात्रा पूरी नहीं पो पाई थी और बीच में भी श्रवण को राजा दशरथ का तीर लग गया था और उसी समय श्रवण सहित उनके पेरेंट्स ने भी दम तोड़ दिया था। लेकिन इन चारों भाइयों की यात्रा सफल रही। (Photo-PTI)
सावन के माह में देश के तमाम शिव भक्त कांवड़ लेकर यात्राएं कर रहे हैं। लेकिन ये चारों भाईयों ने ऐसी यात्रा कराकर एक मिसाल पेश की है। (Photo-PTI)