बीजेपी सांसद बोले- यह पाकिस्तान नहीं है, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को पालन करने होंगे नियम
अलीगढ़ मुस्लिम यूनविर्सटी को राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग यह आदेश देने वाला है कि वह अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह ही आरक्षण नीति को लागू करे या फिर दस्तावेज पेश कर अगस्त महीने तक अपना अल्पसंख्यक दर्जा साबित करे। पैनल के चेयरमैन राम शंकर कठेरिया ने द इंडियन एक्सप्रेस को यह जानकारी दी है। आगरा से बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री कठेरिया ने कहा, ‘यह पाकिस्तान नहीं है, विश्वविद्यालय को नियमों का पालन करना ही होगा।’ कठेरिया ने कहा कि मानव संसाधन मंत्रालय, यूजीसी और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने इस बात की पुष्टि की है कि एएमयू के पास अल्पसंख्यक दर्जा नहीं है।
बता दें कि 2016 में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष कहा था कि एएमयू अलपसंख्यक संस्थान नहीं है। हालांकि, यह मामला फिलहाल अदालत में लंबित है। कठेरिया ने कहा, ‘एएमयू अधिकारियों से 3 जुलाई को हुई मीटिंग में रजिस्ट्रार और वाइस चांसलर एक ऐसा दस्तावेज नहीं दिखा पाए जिससे विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक दर्जा साबित हो सके। हमने उन्हें दस्तावेज पेश करने के लिए एक महीने का वक्त दिया है। हालांकि, यह साफ है कि उनके पास कागजात नहीं हैं।’
उन्होंने कहा, ‘ अगस्त के अंत में कमिटी (एससी, एसटी पैनल) की बैठक होगी और विश्वविद्यालय को आदेश दिया जाएगा कि सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों की तरह कोटा उपब्लध कराएं। विश्वविद्यालय में करीब 30 हजार स्टूडेंट हैं और इसमें से 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति जबकि 7.5 प्रतिशत अनूसूचित जनजाति के लोगों के पास जाना चाहिए।’
कठेरिया ने कहा कि अगर एएमयू दस्तावेज पेश करने में नाकाम होता है तो उसे 4500 दलित और 2250 आदिवासी छात्रों को दाखिला देना होगा। कठेरिया का दावा है कि एएमयू के संविधान में प्रस्तावित कोटा को देने से इनकार करने की वजह से 1951 से लेकर अब तक SC/ST/OBC वर्ग के 5 लाख स्टूडेंट्स यहां दाखिले से वंचित हुए। कठेरिया ने पूछा कि बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने इस मामले पर चुप्पी क्यों साध रखी है? उन्होंने कहा, ‘अगर उन्हें लगता है कि बीजेपी दलितों के मुद्दों पर गंदी राजनीति कर रही है तो उन्हें इस आंदोलन को आगे ले जाना चाहिए। हम उनके पीछे रहेंगे।’