दिखने में संसद भवन जैसा ये चौसठ योगिनी मंदिर है ‘तांत्रिक विश्वविद्यालय’ रहती है योगिनीयों की भीर

मध्य प्रदेश के मुरैना जिले के चौसठ योगिनी मंदिर को तांत्रिक अनुष्ठान के लिए जाना जाता है। इस मंदिर को स्थानीय लोग तांत्रिक विश्वविद्यालय के नाम से भी जानते हैं। इस विश्वविद्यालय मे ना तो कोई शिक्षक है और ना ही छात्र है। तांत्रिक कर्मकांड के लिए लोग यहां आधी रात को आते हैं। माना जाता है कि करीब 1200 साल पहले 9वीं सदी के पास प्रतिहार वंश के राजाओं ने इस मंदिर को बनवाया था। इस मंदिर में 101 खंबे और 64 कमरे हैं जिसमें हर एक खंबे में शिवलिंग है। मंदिर के मुख्य परिसर में एक बड़ा शिवलिंग स्थापित है। मंदिर के हर कमरे में शिवलिंग के साथ देवी योगिनी की मूर्ति भी स्थापित दिखाई देती थी, लेकिन अब इन्हें दिल्ली के संग्रहालय में रख दिया गया है। इसी के आधार पर इस मंदिर का नाम चौसठ योगिनी पड़ा।

इस तांत्रिक मंदिर के लिए मान्यता है कि यहां भारतीयों से ज्यादा विदेशी पर्यटक आते हैं। विदेशियों को यहां स्थानीय तांत्रिकों के साथ पूजा करते देखा जाता है। ये पर्यटक अपने अनुष्ठान के पूरा होने तक स्थानीय ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। भारत में चार चौसठ योगिनी मंदिर है। दो मंदिर मध्य प्रदेश में है तो दो आंध्र प्रदेश में हैं। योगाभ्यास करने वाली स्त्री को योगिनी कहा जाता है लेकिन तांत्रिक परंपराओंमें योगिनी देवीरुपा मानी जाती हैं जो सप्तमातृकाओं से सम्बद्ध हैं। योगिनी मां काली का अवतार मानी जाती हैं। घोर नामक दैत्य के साथ युद्ध करते हुए माता ने ये अवतार लिए थे। ये भी माना जाता है कि ये सभी माता पार्वती की सखियां हैं।

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