केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट से कहा- गरीबी के कारण भीख मांगना नहीं है अपराध

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि भिक्षावृत्ति अगर गरीबी के कारण की जा रही हो तो उसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए। न्यायालय ने इससे पहले आश्चर्य जताया था कि कोई व्यक्ति मजबूरी में ही भीख मांगता है या अपनी इच्छा से भी ऐसा करता है।
केंद्र का यह पक्ष उन दो जनहित याचिकाओं पर सामने आया जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में भिक्षुकों के लिए मूल मानवीय एवं मौलिक अधिकारों की मांग की गई और भिक्षावृत्ति को अपराध नहीं मानने की बात कही गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने पूछा, ‘‘कोई व्यक्ति मजबूरी में ही भीख मांगता है या अपनी इच्छा से भी? क्या आपने किसी को देखा है जो अपनी इच्छा से भीख मांगता हो?”

केंद्र सरकार ने एक हलफनामा देकर कहा कि वर्तमान में 20 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने या तो अपने खुद के भिक्षावृति-निरोधक कानून लागू किए हुए हैं या दूसरे राज्यों द्वारा लागू कानूनों को अपनाया है। केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनिल सोनी के माध्यम से दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘‘भिक्षावृत्ति से संबंधित किसी भी कानून में बदलाव के लिए संबंधित राज्य सरकारों के नजरिए को समझने की जरूरत होगी।’’

केंद्र सरकार ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा कि भिक्षावृत्ति अगर गरीबी के कारण की जा रही हो तो उसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए। न्यायालय ने इससे पहले आश्चर्य जताया था कि कोई व्यक्ति मजबूरी में ही भीख मांगता है या अपनी इच्छा से भी ऐसा करता है।
केंद्र का यह पक्ष उन दो जनहित याचिकाओं पर सामने आया जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में भिक्षुकों के लिए मूल मानवीय एवं मौलिक अधिकारों की मांग की गई और भिक्षावृत्ति को अपराध नहीं मानने की बात कही गई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की एक पीठ ने पूछा, ‘‘कोई व्यक्ति मजबूरी में ही भीख मांगता है या अपनी इच्छा से भी? क्या आपने किसी को देखा है जो अपनी इच्छा से भीख मांगता हो?”

केंद्र सरकार ने एक हलफनामा देकर कहा कि वर्तमान में 20 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने या तो अपने खुद के भिक्षावृति-निरोधक कानून लागू किए हुए हैं या दूसरे राज्यों द्वारा लागू कानूनों को अपनाया है। केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता अनिल सोनी के माध्यम से दाखिल हलफनामे में कहा गया, ‘‘भिक्षावृत्ति से संबंधित किसी भी कानून में बदलाव के लिए संबंधित राज्य सरकारों के नजरिए को समझने की जरूरत होगी।’’

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *